भारतीय बैंकिंग में क्रांतिकारी परिवर्तन
Date: 09-08-16
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- सन् 2007 में इंटरनेट और स्मार्ट फोन के प्रयोग ने बैंकिंग क्षेत्र को लोगों के और करीब पहुँचा दिया है।
- वर्तमान सरकार की जन-धन योजना के अंतर्गत लगभग 20 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए। यह अपने आप में कीर्तिमान है।
- रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में 20 नए बैंकों की अनुमति दी है। इनमें छोटे और इनकी शाखाएं खुलने से बैंकिंग क्षेत्र में प्रतियोगात्मक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- लगभग 28 करोड़ भारतीयों के पास आधार कार्ड से जुड़े बैंक खाते हैं। इनसे लगभग 1 अरब प्रत्यक्ष लाभातंरण लेन-देन या डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर ट्रांजेक्शन ¼DBT½ किया गया, जिसकी अनुमानित राशि करोड़ों में है।
- आधार कार्ड में ‘नो योर कस्टमर’ की सुविधा ने आधार नंबर और किसी व्यक्ति विशेष के बायोमेट्रिक्स के जरिए तत्काल खाता खोलना संभव कर दिया है।
- आधार के साथ इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन प्रक्रिया से ई-साइन के द्वारा भी बैंक खाता खोला जा सकता है।
- ‘डिजीटल लॉकर’ सिस्टम के माध्यम से इन इलैक्ट्रानिक दस्तावेजों को सुरक्षित रखा जा सकता है। इन तकनीकी सुविधाओं ने बैंक के कामकाज में कागज की आवश्कयता को न्यूनतम कर दिया है।
- सन् 2009 में बने गैर-लाभकारी संगठन नेशलन पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ¼NPCI½ ने यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस लेयर का गठन किया है। इससे भुगतान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे और यह कैशलैस अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होगी। अतः ई मेल की तरह ही अब स्मार्ट फोन से धन का लेन-देन हो सकेगा।
- कैशलेस अर्थव्यवस्था की सुविधा उन स्मार्टफोन पर होगी, जो आधार कार्ड के बायोमेट्रिक्स का संचालन कर सकेंगे। इससे अब बैंकिंग में किसी व्यक्ति को परिचय जांच के लिए उसके डेबिट कार्ड और पिन नम्बर की जगह मोबाइल फोन और आधार कार्ड सत्यापन पर निर्भर रहना होगा।
- बैंकिंग के डिजीटल हो जाने से अनौपचारिक क्षेत्रों ¼Informal Sector½ के लाखों उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों के लिए ऋण लेना आसान हो जाएगा।
- जब मुद्रा ही डिजीटल हो जाएगी, तो बैंक अपने उपभोक्ताओं पर लेन-देन के लिए लगने वाली फीस भी नहीं लेंगे। फीस के हटने से पुनः कैशलैस आर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा एवं व्यापारिक भुगतान भी डिजीटल हो जाएंगे।
- इस व्यवस्था से उन सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों को चुनौती मिलेगी, जिन्होंने 70 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ अर्थव्यवस्था की ऊँचाईयों को छू रखा है।
- कुल मिलाकर बैंकिंग का भविष्य उन्हीं के लिए है, जो गति, कल्पना और परिवर्तन को गले लगाने को तैयार हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में श्री नंदन नीलकेणी के लेख पर आधारित
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