बच्चों के लिए सुरक्षित एवं स्वस्थ भविष्य तैयार करें।

Afeias
01 Dec 2017
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Date:01-12-17

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हमारे बच्चे देश का भविष्य हैं। उनको ऐसा वर्तमान चाहिए, जो सुरक्षित, स्वस्थ और शक्तिदायी हो। हम सभी को कोरी भाषणबाजी की जगह बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा एवं उनके भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

भारतीय बच्चों के मन और विचार आकांक्षाओं और स्वप्नों से सराबोर हैं। परन्तु हम राजनैतिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं न्यायिक तौर पर उन्हें साकार करने में अक्षम सिद्ध हो रहे हैं। अगर हम बच्चों के वर्तमान को ही नष्ट कर देंगे, तो देश का भविष्य क्या होगा?

बच्चों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। अगर हम बी.आर.आम्बेडकर का उदाहरण लें, तो पाते हैं कि एक दलित होने के नाते उन्होंने जाति भेद की कठिनाइयों से जूझते हुए भी भारतीय संविधान के निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न किया। यह सब वे अपनी शिक्षा के कारण ही कर सके थे। इसका अर्थ यही है कि भारत के भविष्य का द्वारा खोलने वाली कुंजी हमारे पास है। बस, उसका सही इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है। हमें इसी प्रकार के प्रेरणास्रोत तैयार करने हैं, जो एक संस्था की तरह कार्य कर सकें।

सवाल उठता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक हम बच्चों के भविष्य के निर्माण में कहाँ असफल रहे हैं?

  • हमने अभी तक सार्वजनिक स्वास्थ्य को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितना लिया जाना था। आज भी हम अपने सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 2 प्रतिशत सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय करते हैं।
  • शिक्षा के क्षेत्र में हम बहुत पिछड़े हुए हैं। सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 3.8 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किया जाता है। इस प्रकार का अल्प व्यय मानवीय विकास की दृष्टि से बहुत कम है।

जब तक हमारे देश के बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई तथा टीकाकरण जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलती, तब तक वे 21वीं शताब्दी के अनुसार कौशल विकास करके तैयार नहीं हो पाएंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य, दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर हमें परिमाण और गुणवत्ता दोनों ही दृष्टियों से काम करना होगा। तभी देश का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित कैलाश सत्यार्थी के लेख पर आधारित।