प्रशासनिक सेवा में किए गए सुधारों की वास्विकता
Date:18-06-18 To Download Click Here.
देश की उच्च प्रशासनिक सेवाओं में प्रशिक्षण और नियुक्ति में सुधार की दृष्टि से सरकार ने अलघ समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी सिफारिशें लगभग एक दशक पूर्व ही संघ लोक सेवा आयोग को सौंप दी हैं। अब इन पर अमल भी किया जा रहा है। अधिकतर समीक्षक इसे एक गूगली की तरह से मान रहे है। प्रशासनिक सेवाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करना ही प्रमुख मुद्दा है, जिस पर अभी कोई काम नहीं किया गया है।
अलघ समिति की रिपोर्ट पर नज़र डालें, तो तथ्य कुछ इस प्रकार से प्रस्तुत किए गए लगते हैं।
- समिति का मानना है कि उच्च प्रशासनिक सेवाओं एवं अन्य केंद्रीय सेवाओं को औपनिवेशिक पद्धति से अपने को मुक्त करना चाहिए। मैकाले की चलाई अंग्रेजी परीक्षा और सामान्य ज्ञान से हटकर, प्रशासकों का मूल्यांकन 21वीं शताब्दी की समस्याओं को सुलझाने की क्षमता पर आधारित हो। वर्तमान युग में तकनीकों के प्रभाव, लोगों के अधिकारों की सुरक्षा, वैश्वीकरण एवं पर्यावरण संबंधी परिवर्तनों को प्रशासनिक सेवाओं का आधार बनाया जाए।
- समिति ने यह भी कहा है कि प्रशासकों की बेसिक ट्रेनिंग के बाद उन्हें राज्यों में नियुक्ति के अलावा आर्थिक या वित्तीय, आंतरिक सुरक्षा आदि विशेषज्ञता वाले उन क्षेत्रों में काम करने का अवसर दिया जाए, जिसमें वे जाना चाहते हों। विश्व में हो रहे परिवर्तनों के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों के महत्व को समझकर उन्हें इनमें काम करने को प्राथमिकता दी जाए।
- समिति ने सिफारिश की है कि प्रशासकों के लिए आजीवन प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन की ऐसी व्यवस्था हो, जिसमें आंतरिक रिपोर्ट के अलावा बाहरी तत्वों को भी शामिल किया जाए।
- विडंबना यह है कि समिति की रिपोर्ट को अभी तक प्रकाशित ही नहीं किया गया है, और राजनीतिक दल इसे अपने लाभ के अनुरूप तोड़-मरोड़कर अमल में ला रहे हैं।
- अगर हमें प्रशासनिक सेवाओं में वाकई सुधार करना है, तो इसके लिए एक सार्वजनिक निगरानी आयोग का गठन किया जा सकता है।
- आयोग में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, पूर्व कैबिनेट सचिव, पूर्व महालेखा नियंत्रक परीक्षक और एक सम्मानित पत्रकार को शामिल किया जाना चाहिए।
- आयोग का कोई आधिकारिक स्तर न हो। यह स्वतंत्र रूप से अपनी रिपोर्ट पेश करे। कोई भी सरकार चाहे तो इसका उपयोग करे।
‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ में प्रकाशित योगिंद्र के अलघ के लेख पर आधारित। 5 जून, 2018