नवाचार का एक नया युग

Afeias
22 Feb 2019
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Date:22-02-19

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2016 की राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के तहत् सरकार ने देश में नवाचार के वातावरण को बढ़ावा देने के लिए क्रमशः निवेश किया है।

इसी श्रृखंला में सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में आनुवांशिक रूप से मॉडीफाइड कॉटनसीड पर मॉन्सेन्टो के पेटेंट की मान्यता जारी रखी है।

  • हाल ही में अमेरिकी चेम्बर ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर ने लगभग 50 देशों में बौद्धिक संपदा संबंधी प्रगति का मूल्यांकन किया है। इसमें 45 मानकों को आधार बनाया गया हे। पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट एवं ट्रेड सीक्रेट प्रोटेक्शन जैसे आधार नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त करते हैं।
  • 2019 के बौद्धिक संपदा सूचकांक की 50 अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 36वां स्थान दिया गया है। भारत की 8 स्थान की यह छलांग विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी मायने रखती है।
  • 2018 के वल्र्ड बैंक डुईंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को लगातार द्वितीय वर्ष विश्व में सर्वाधिक प्रगतिशील बताया गया है।

भारत की इस प्रगति से बौद्धिक संपदा के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का महत्व बढ़ा है। इससे अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कार्यालयों से पेटेंट को मान्यता दिलवाने में गति आई है। छोटे व्यवसायों को लाभ मिला है।

  • पेटेंट फाइल करने, इस हेतु शुल्क में कमी एवं तकनीकी सहायता के क्षेत्र में भारत ब्राजील की तरह ही विश्व के प्रमुख देशों में से एक हो गया है।
  • नवाचार में मितव्ययिता से सृजनात्मकता और क्षमता की संस्कृति का विकास करके भारत को अपनी इस उपलब्धि को बनाए रखना होगा। इस प्रकार के मितव्ययी नवाचार को रूपांतरकारी नवाचार तक ले जाने की यात्रा के लिए एक ऐसे बौद्धिक संपदा अधिकार तंत्र की आवश्यकता होगी, जो महत्वपूर्ण खतरा उठाने योग्य दीर्घकालीन निवेश को आमंत्रित कर सके।
  • वर्तमान में, अन्वेषकों को पेटेंट कराने के लिए डाटा सुरक्षा की अनियमितताओं से जूझना पड़ता है। अगर पेटेंट मिल भी जाता है, तो 20 वर्षों तक उसको लागू किए जाने की चुनौती सामने खड़ी रहती है। ऑनलाइन पाइरेसी या नकल किए जाने की भी समस्या है। व्यापार की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कानून का अभाव है।

अगर भारत को चतुर्थ औद्योगिक क्रांति का प्रतिभागी बनना है, तो उसे बौद्धिक संपदा अधिकारों के अच्छे और बुरे पक्ष को समझना होगा। भविष्य की अर्थव्यवस्था में सूचना, डाटा आदि औद्योगिक संपत्ति हैं। इन संपत्तियों के लिए बाजार की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। केवल भारत ही नहीं, सभी देशों को बौद्धिक संपदा अधिकारों में बढ़त लेने की आवश्यकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित पैट्रिक किलब्राइड के लेख पर आधारित। 9 फरवरी, 2019