एनएसजी में भारत

Afeias
29 Jun 2016
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Date: 29-06-16

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भारत का परमाणु कार्यक्रम रक्षात्मक संरचना से कहीं ज्यादा देश की आर्थिक तरक्की से जुड़ा हुआ ममला है।

  • भारत यदि परमाणु आपूर्ति करता देशों की फेहरिस्त में शामिल होता है। तो हम आशानी से यूरेनियम जैसे पदार्थों को प्राप्त कर अपनी ऊर्जा क्षमता बढ़ा सकेगे।
  • 48 देशों वाले एनएसजी में वे सभी देश शामिल हैं जो परमाणु हथियार बनाने वाले सह उत्पाद यूरेनियम और थोरियम का उत्पादन या व्यापार करते है। इन देशों ने अतंरराष्ट्रीय स्तर पर एक परमाणु अप्रसार संधि पर भी हस्ताक्षर किया है, जिससे ये परमाणु हथियार निशस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके परमाणु प्रतिष्ठान एक अतंरराष्ट्रीय निगरानी संगठन परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में आते है।
  • एनएसजी का सदस्य होने का सबसे बड़ा लाभ आर्थिक विकास की रीढ़ ऊर्जा जरूरतों की भरपाई के रूप में होता है। एनएसजी का सदस्य होने पर आधुनिक परमाणु तकनीकि और ईंधन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। भारत इसकी व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहा है।
  • देश मे औद्योगिक रुग्णता का एक कारण ऊर्जा की आपूर्ति में कमी भी है। भारत अपनी कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 55 प्रतिशत भाग कोयले से उत्पादित करता है, जो प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। भारत ने 2015 में पेरिस जलवायु परिवर्तन पर हुए सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता प्रस्तुत की है कि वह 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कटौती करेगा। ऐसे में यदि भारत पर्यावरण संरक्षण और विकास; दोनों मोर्चे पर आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे ऊर्जा उत्पादन की आधुनिक और कम प्रदूषण वाली तकनीकी को हासिल करना होगा। इस दृष्टि से एनएसजी की सदस्यता को और अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
  • एनएसजी अब भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा का भी प्रश्न बनता जा रहा है। यदि भारत एनएसजी का सदस्य बनता है तो यह प्रधानमंत्री मोदी और भारत दोनों की ही प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा।

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