आपदा प्रबंध में हम इन कारणों से पिछड़े

Afeias
12 Jul 2016
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Date: 12-07-16

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 ( 1) भारत में संभावनाएं

भारत, दुनियां के उन देशों में शामिल है, जहाँ प्राकृतिक आपदाओं का खतरा यहाँ की सवा अरब आबादी पर हमेशा मंडराता रहता है।

देश के कई इलाके तो इस लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। इसके बावजूद देश का आपदा प्रबंधन काफी खराब स्थिति में है। आपदा प्रबंधन पर आई कंपट्रोलर एंड आॅडिटर जनरल (कैग) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 2006 में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) का गठन किया गया था। लेकिन इसके पास न तो उचित सूचनाएं होती हैं, न ही एक्शन कंट्रोल। सीधे शब्दों में कहें तो प्राकृतिक आपदा से निपटने में यह असफल साबित हुआ है। इसके कारणों को खंगालते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि ढांचागत व्यवस्थाएं होने के बावजूद सूचना की  कमी इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। इसकी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कैपेसिटी प्रभावी नहीं होने के कारण कोई परियोजना पूरा नहीं हो पाती। इसके कारण न तो आपदा के पूर्व संकेत जुटाए जा पाते हैं और न ही बचाव व राहत कार्यों की सही समय पर शुरुआत हो पाती है।

 

(2) फिर भी हम तैयार हैं

वर्तमान केंद्र सरकार को सत्ता संभालते ही सबसे पहला मुकाबला प्राकृतिक आपदाओं से ही करना पड़ा था। यही वजह थी कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (छक्डच्)के द्वारा देश में आपदाओं से लड़ने की सटीक शुरुआत गई। यह देश में अपनी तरह की पहली योजना है। इसमें आपदा जोखिम का अध्ययन, आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार करना, ढांचागत और गैर ढांचागत उपायों के जरिए आपदा जोखिम को कम करने के लिए निवेश करना, आपदा का सामना करने के लिए तैयारी पूर्व सूचना एवं आपदा के बाद बेहतर पुननिर्माण करना शामिल हैं। इसी तरह महाराष्ट्र और उत्तराखंड ने भी अपने स्तर पर आपदा प्रबंधन को लेकर बेहतरीन योजनाओं पर काम शुरू किया है।

 

(3) वे तीन बड़े कारण, जिन्होंने व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया

(a) समन्वय

भारत के आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी कमजोरी है सरकार व सरकारी एजेंसियों के साथ उनका कमजोर को- आॅर्डिनेशन। इसके कारण सही समय पर बचाव के उपाय नहीं हो पाते। चीन की नेशलन कमेटी फॉर डिजास्टर रिडक्शन (एनसीडीआर) सरकारी मंत्रालयों और विभागों के साथ चीनी रेडक्रॉस समेज कुल 34 इकाइयों के साथ को-आॅर्डिनेट करती है। इस सेंट्रलाइज्ड नेटवर्क को स्थानीय स्तर पर अपनाया गया है। वहां एनसीडीआर आपदाओं की सूचना से लेकर उसे कम करने और आपदा के बाद राहत कार्य की जिम्मेदारी संभालती है।

(b) योजना

बरिश के मौसम में बादल फटने तथा बाढ़ आने जैसी आपदाओं आने की आशंका होने के बावजूद हमारे यहां इसके लिए पहले से ही तैयारी नहीं की जाती। इसकी तुलना में हम ओमान देश के इमरजेंसी मैनेजमेंट सिस्टम से सबक ले सकते हैं। वहां 1988 में इमरजेंसी मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किया गया। 2007 में गोनू साइक्लोन के बाद इसे नेशलन कमेटी फॉर सिविल डिफंेस (एनसीसीडी) कर दिया गया। यह प्राकृतिक आपदा प्रबंधन की योजना तैयार करती है, उसे समय-समय पर उसे अपडेट करे, उसके अनुसार काम करती है।

(c) संचार

कम्युनिकेशन कमजोर होने से पूरा प्रबंधन फेल हो जाता है। जापान और चीन ने अपना कम्युनिकेशन मजबूत कर लिया है। अब इसी दिशा में आॅस्ट्रेलिया ने भी कदम बढ़ाए हैं और वह विश्व का पहला टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म तैयार कर रहा है। मेलबर्न यूनिवर्सिटी, आईबीएम और आॅस्ट्रेलिया के नेशलन हाईटेक रिसर्च इंस्टीट्यूट एनआईसीटीए मिलकर इसे तैयार कर रहे हैं। आॅस्ट्रेलियाई डिजास्टर मैनेजमेंट प्लेटफार्म का मुख्य फोकस कम्युनिकेशन पर है। यह सभी जगह से डाटा एकत्रित करके उसे प्रेषित करेगी।