आकांक्षी जिलो के लिए कृषि विकास कार्यक्रम

Afeias
04 Feb 2020
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Date:04-02-20

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जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री ने आकांक्षी जिलों का सुधार (एस्परशनल डिस्ट्रिक) नामक एक योजना की घोषणा की थी। इस योजना में 115 जिलों को शामिल किया गया था। इस योजना का उद्देश्य उन किसानों की सहायता करना है, जो सीमांत हैं, और जिनकी बाजारों तक सही पहुँच और पकड़ नहीं बन पाती है। योजना का व्यापक उद्देश्य कृषि के माध्यम से जिलों का त्वरित और कारगर रूप से सुधार करना है।

कार्यक्रम की रूपरेखा

  • अभिसरण (केन्द्रीय और राज्य योजनाओं का)
  • केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय ‘प्रभारी‘ अधिकारियों तथा जिला कलेक्टरों का सहयोग।
  • जिलों के बीच जनआंदोलन द्वारा प्रेरित प्रतिस्पर्धा।

सरकार ने आंध्रप्रदेश सरकार के सहयोग से इस कार्यक्रम को चलाया था। कर्नाटक में इसे ए 3 डी ‘एप्रोप्रिसट एग्रीकल्चर फॉर एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्स‘ के रूप में चलाया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

कुछ मुख्य बिंदु

  • इसके अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से प्रेरणा लेते हुए काम किया जाना है।
  • इसके लिए सरकार द्वारा निधि प्रदान की जाती है।
  • चुने हुए जिलों में से एक ब्लॉक का चयन किया जाता है। इस प्रकार कुल 50-100 ब्लॉक हो सकते हैं।
  • डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के द्वारा सब्सिडी किसानों के खाते में जमा की जाती है।
  • भूमिहीन श्रमिकों और किसानों को भी कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाता है।
  • किसानों की सहायता के लिए पंचायत स्तर पर सार्वजनिक निवेश करके लगभग 5000 किसानों को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य है।
  • इस उद्यम के लिए किसानों में से ही कुछ को नेतृत्व के लिए चुना जाता है।

ए 3 डी कार्यक्रम के अंतर्गत लिए गए अधिकांश जिले पारिस्थिकीय के संदर्भ में संवेदनशील हैं। अपने सही अर्थों में यह पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान कर सकता है, जिसके द्वारा पारिस्थितिक तंत्रों का सरंक्षण और पुनरूद्धार हो सकता है। इन क्षेत्रों में फसलें और कृषक स्थानिक हैं। अतः फसल जल बजट, फसलों का सही मिश्रण, कृषि प्रणालियों में पेड़ों और पशुओं की सही प्रजातियों का चुनाव, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में स्थानीय उपज की शुरूआत और मध्यान्ह भोजन जैसे कुछ घटक उस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं।

17 धारणीय विकास लक्ष्यों में से लगभग छह को ए 3 डी के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। यह कार्यक्रम कृषि के उन प्रकारों, जिन्हें संसाधन की उपलब्धता के आधार पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए, को स्वीकार करके उपयुक्त कृषि नीति तैयार करने की दिशा में एक कदम है। अंत खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने और हमारे किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार को ए 3 डी जैसे कार्यक्रमों में निवेश बढाना चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स‘ में प्रकाशित पी वी एस सूर्यकुमार के लेख पर आधारित 21 जनवरी, 2020