वाहनों का आधार-फास्टैग

Afeias
07 Jan 2020
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Date:07-01-20

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हाल ही में सरकार ने टोल बूथ पर ऑटोमैटिक भुगतान हेतु फास्टैग नामक डिवाइस को अनिवार्य कर दिया है। इसका महत्व आधार कार्ड जितना ही है। इसके माध्यम से सरकार पूरे देश में वाहनों की आवाजाही पर नजर रख सकेगी।

क्या है ये फास्टैग ?

  • यह टैग कैशलैस भुगतान के लिए रेडियो फ्रिक्वेन्सी आइडेंटीफिकेशन का इस्तेमाल करता है। इसी से धारक का प्रीपेड अकांउट जुड़ा रहता है। यह चिप वाहनों की स्क्रीन पर इस तरह से लगाया जाता है कि उन्हें टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होती।
  • यह पाँच वर्ष तक मान्य होता है।
  • इसके भुगतान का माध्यम नेशनल इलैक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम के तरीके से होता है। नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया भुगतान राशि लेती है।
  • इस टैग से टोल पर इंतजार में बर्बाद होने वाले ईंधन को बचाया जा सकेगा।
  • किसी सड़क पर चलने वाले वाहनों की सटीक संख्या का पता चल सकेगा।

टैग से वाहनों को कैसे ट्रैक किया जाएगा

  • फास्ट टैग बैंक खाते से जुड़ा होगा। जैसे ही कोई वाहन किसी टोल से गुजरेगा, उसकी स्थिति और भुगतान राशि से जुड़ा एस एम एस वाहन मालिक के पास आ जाएगा।

अन्य देशों में व्यवस्था –

विश्व के अनेक राजमार्गों पर टोल के भुगतान के लिए त्वरित, सुगम और नकदरहित व्यवस्था के रूप में इलेक्ट्रॉनिक टोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा पहला टोल प्लाजा नार्वे में सन् 1986 में शुरू किया गया था। जापान और चीन में भी ऐसी व्यवस्था है।

इसके लिए एक जरूरी शर्त देश में सभी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित टोल प्लाजा को जोड़ने के लिए एकीकृत केन्द्रीय व्यवस्था मुहैया कराना है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के गठन से अब यह संभव हो गया है।

विभिन्न स्रोतों पर आधारित।

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