ई-नाम (एन ए एम) से इनाम तक
Date:27-12-19 To Download Click Here.
भारत के संघीय ढांचे में कृषि का विषय राज्यों से संबंधित है। इस हेतु राज्य सरकारों ने अपने क्षेत्रों में कृषि संबंधी व्यापार के नियमन के लिए एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी कानून (ए पी एम सी) को अधिनियमित किया है। इसका उद्देश्य किसानों को चालबाज बिचैलियों और व्यापारियों से बचाना रहा है। इस कानून के साथ किसानों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों की गतिविधियों और मूल्य का ज्ञान नहीं हो पाता था।
2017 में सरकार ने कृषि उत्पाद और पशुधन विपणन (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम तैयार किया। इसका उद्देश्य केन्द्र शासित एवं अन्य राज्यों के बाजारों की दूरियों को मिटाकर इन्हें आपस में जोड़ना था। इसका अगला क्रांतिकारी कदम राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना (ई- एन ए एम) की शुरूआत था। यह समस्त देश के लिए बनाया गया इलैक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल था, और इसका उद्देश्य ‘एक राष्ट्र, एक बाजार’ बनाना था।
ई-नाम के अंतर्गत केन्द्र से सहायता पाने के इच्छुक राज्यों को ए पी एम सी अधिनियम में तीन प्रकार के सुधार करने की आवश्यकता बताई गई –
- राज्य की सभी मंडियों के लिए एकीकृत ट्रेडिंग लाइसेंस जारी करना।
- एकल बिन्दु बाजार शुल्क लागू करना, तथा
- ई-नीलामी / ई-ट्रेडिंग की सुविधा देना।
इन सुधारों के साथ ही ई-नाम का लाभ किसानों को प्राप्त होना प्रारंभ हो गया। ई-नाम की कुछ विशेषताएं –
- आज 16 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों के 320 जिलों में 585 मंडियां वर्चुअल बाजार के रूप में आपस में जुड़ी हुई हैं।
- ई-नाम मंच पर लगभग 1.66 करोड़ किसान और 1.97 लाख व्यापारी व कमीशन एजेंट जुड़े हुए हैं।
- 2016-17 और 2018-19 में प्रत्येक ट्रेडिंग लॉट पर बोली की औसत संख्या 2.1 से बढ़कर 3.9 हो गई है।
- ई-नाम सॉफ्टवेयर को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है, और अब किसान इससे ऑनलाइन पेमेंट पाने में सक्षम हैं।
- इस मंच से राज्यों की अपनी व अन्य राज्यों की मंडियों के बीच आपसी संपर्क बढ़ सका है।
- ई-नाम ऐप के माध्यम से किसान अब जिंसों के मूल्य पर 24 घंटे नजर रख सकते हैं।
- नीलामी के अंतिम मूल्य की सूचना एस एम एस पर मिलने के साथ ही व्यापारी, उनका भुगतान बैंक खातों में कर रहे हैं।
- ई-नाम से किसान अपनी उपज चाहे तो सीधे, या कमीशन एजेंट के माध्यम से बेच सकते हैं।
- ऑटोमेटिक छूट देकर ई-नाम से भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- उत्तराखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश ऐसे राज्य हैं, जो ई-नाम से लेन-देन करने पर अनेक प्रोत्साहन दे रहे हैं।
भविष्य में उठाए जाने वाले कदम
- आगामी कुछ माह में ई-नाम से जुड़ी मंडियों में वेयरहाउस ट्रेडिंग मॉड्यूल शुरू किया जाएगा।
आंध्रप्रदेश ने इसके लिए 23 वेयर हाउस चिन्हित किए हैं।
- ई-नाम के माध्यम से 850 किसान उपज संगठन बन गए हैं। इनके माध्यम से लागत में बचत होगी, और मूल्य बोध बेहतर हो सकेगा।
ये संगठन अपने परिसर से ही उपज बेच सकेंगे।
- ई-नाम के एप के जरिए उपज के ढेर का पूरा चित्र लेकर, 2डी ईमेज को अपलोड किया जा सकता है।
- ई-नाम में 415 अन्य मंडियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
- इंटर स्टेट ट्रेड लाइसेंस और विवादों के जल्द निपटारे के लिए एक संस्थात्मक तंत्र को स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन सब माध्यमों के साथ उम्मीद की जा सकती है कि ई-नाम ‘एक राष्ट्र-एक बाजार’ के स्वप्न को साकार करने में किसान भाईयों की सहायता करता रहेगा।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित वसुधा मिश्रा के लेख पर आधारित। 12 दिसम्बर, 2019