प्रशासनिक चिंतक

Publisher : Benten Books | Author : Dr. Vijay Agrawal


INR 275

डॉ विजय अग्रवाल द्वारा लिखी गई इस पुस्तक ‘प्रशासनिक चिन्तक’ की दो अपनी विशेषताएँ हैं – पहली यह कि यह मूल हिन्दी में ही लिखी गई है। इसमें आपको अनुवाद के कारण पैदा हुई कठिनाई से गुजरना नहीं पड़ेगा। दूसरी यह कि यह पुस्तक सिद्धान्त, समझदारी और अनुभव को मिलाकर लिखी गई है।



Description

इसके कारण आप इस पुस्तक में एक अलग ही तरह की सहजता, सरलता और रोचकता पायेंगे। यह प्रशासनिक चिन्तकों के बारे में आपके दिमाग में समझ की एक ऐसी पुख्ता नींव तैयार कर देगी कि इनको लेकर होने वाले उलझाव और अस्पष्टता से आपको हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति मिल जायेगी। साथ ही यह आपके अन्दर एक ऐसी अन्तर्दृष्टि भी पैदा करेगी कि आप अपने स्तर पर कुछ नया सोच सकें।

इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप स्वयं को इस स्थिति में पायेंगे कि आपके विश्लेषण करने की क्षमता में कई गुना वृद्धि हो गई है। आप स्वयं को सामाजिक-विज्ञानी दृष्टि से सम्पन्न एक बौद्धिक युवा के रूप में पायेंगे। और ऐसा हो जाना कम बड़ी बात नहीं होगी।


Table of Content

Chapter 1 चिंतक को समझें पहले
Chapter 2 चाणक्य
Chapter 3 वुड्रो विल्सन
Chapter 4 वैज्ञानिक प्रबंधन
Chapter 5 फ्रेडरिक विन्सलो टेलर
Chapter 6 हेनरी फायोल
Chapter 7 लूथर गुलिक
Chapter 8 लिण्डेल एफ उर्विक
Chapter 9 शास्त्रीय विचारधारा : आलोचना एवं योगदान
Chapter 10 मैक्स वेबर
Chapter 11 कार्ल माक्र्स
Chapter 12 मैरी पार्कर फोलेत
Chapter 13 व्यवहारवादी दृष्टिकोण (Behavioural Approach)
Chapter 14 व्यवस्थावादी दृष्टिकोण (Systems Approach)
Chapter 15 चेस्टर इर्विन्ग बर्नार्ड
Chapter 16 हर्बर्ट ए. साइमन
Chapter 17 मानव संबंध विचारधारा : एल्टन मेयो
Chapter 18 अब्राहम मेस्लो
Chapter 19 डगलस मैक्ग्रेगर
Chapter 20 फ्रेड डब्ल्यू रिग्स
Chapter 21 क्रिस आर्गिरिस
Chapter 22 रेंसिस लिकर्ट
Chapter 23 फ्रेडरिक हेजर्ऱ्बर्ग