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You are here: Home >> Resources >> Articles (Hindi) >> सिविल सेवा परीक्षा के लिए इतिहास की तैयारी

सिविल सेवा परीक्षा के लिए इतिहास की तैयारी

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महत्व

इतिहास अपनी अतीत की घटनाओं के माध्यम से हमें राज्य, समाज एवं जीवन के प्रति एक यथार्थपरक दृष्टि प्रदान करता है। यही कारण है कि भारत ही नहीं, बल्कि विश्व भर में प्राथमिक एवं मध्य स्तरीय शिक्षा तथा सामान्य-ज्ञान के अन्तर्गत इस विषय को अनिवार्य रूप से तथा प्रधानता के साथ रखा जाता है। यह माना जाता है कि इतिहास का ज्ञान व्यक्ति को अपने अतीत से लेकर वर्तमान तक का परिचय कराकर उसे वर्तमान एवं भविष्य के बारे में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।

यही कारण है कि सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य ज्ञान के चार प्रमुख स्तम्भों में एक प्रमुख स्तम्भ इतिहास (अन्य तीन हैं-भूगोल, राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र) है। अंततः आप देश के एक ऐसे उच्च प्रशासक बनने जा रहे हैं, जिसे सार्वजनिक हित में निर्णय लेने होंगे हैं। हांलाकि मेरी इस बात का कोई प्रत्यक्ष संबंध इतिहास विषय की तैयारी से नहीं है। फिर भी यदि मैंने यहाँ इसकी थोड़ी सी चर्चा की है, तो केवल इस विश्वास के साथ कि शायद इस सत्य का ज्ञान मनोवैज्ञानिक स्तर पर आपको इस विषय से जोड़ दे, आपके अंदर इस विषय के प्रति थोड़ा ही सही, एक लगाव पैदा कर दे। यदि ऐसा हो जाता है, तो निश्चित रूप से आपको इस विषय की तैयारी करने में मजा आने लगेगा, जिसे मैं सिविल सेवा की तैयारी करने की प्रथम मानसिक अनिवार्यता मानता हूँ।

अब हम आते हैं-इस विषय पर पूछे गये प्रश्नों के कुछ जरूरी आँकड़ों पर। प्रारम्भिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन के प्रथम पेपर में इतिहास (इसमें कला एवं संस्कृति पर पूछे गये प्रश्न शामिल हैं पर पूछे गये प्रश्नों का प्रतिवर्ष औसत 15 प्रतिशत रहा है। इसमें न्यूनतम है-12 प्रतिशत तथा अधिकतम 19 प्रतिशत।

मुख्य परीक्षा में इस विषय के कई भाग हो जाते हैं; जैसे-स्वतंत्रता आंदोलन, स्वतंत्रता के बाद का इतिहास, विश्व का इतिहास तथा कला एवं संस्कृति। इनमें सबसे अधिक प्रश्न स्वतंत्रता आंदोलन से आते हैं। सामान्य रूप से कह सकते हैं कि सबसे कम प्रष्न स्वतंत्रता के बाद के इतिहास से तथा कभी-कभी विश्व-इतिहास से भी। यदि उपर्युक्त सभी चारों विषयों को मिलाकर बात की जाये, तो इनसे 250 नम्बर के पेपर में औसतन 125 नम्बर के (यानी कि 50 प्रतिशत) प्रश्न पूछे जाते हैं।

इसी से आप इस विषय की गंभीरता एवं सफलता के लिए इसकी अच्छी तैयारी करने की अनिवार्यता का अनुमान लगा सकते हैं।

तैयारी का स्तर

यूपीएससी ने अपने निर्देश में सामान्य ज्ञान के लिए जिस स्तर की बात कही है, वह है-‘‘कोई भी सुरक्षित व्यक्ति बिना किसी विशेष अध्ययन के इनका उत्तर दे सके।’’ यदि हम इन शब्दों को एनसीईआरटी की पुस्तकों पर लागू कर दें, तो यह स्तर 12वीं कक्षा का हो जाता है। लेकिन क्या यही सच है?
शाब्दिक एवं तार्किक रूप से सच होने के बावजूद यह व्यावहारिक सच नहीं है। जब हम अनसाॅल्व्ड पेपर्स उठाकर देखते हैं, तो यह समझने में कोई दिक्कत नहीं होती है कि इनका स्तर 12वीं से अधिक का है। तो फिर यूपीएससी ने ऐसा कहा क्यों है? मेरी समझ से इसे जान लेना अन्य विषयों की तैयारी करने के लिए भी उपयोगी होगा।
वस्तुतः आपको यहाँ एक समग्र दृष्टि लेकर चलना होगा, न कि मात्र कुछ शब्दों वाले उस निर्देश को।इस समग्रता को इस प्रकार समझा जा सकता है।
1. सिविल सर्विस की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक है। यानी कि किताबें भले ही 12वीं तक की हों, लेकिन उन्हें पढ़ने वाला मस्तिष्क न्यूनतम स्नातक स्तर का है। मस्तिष्क की यह प्रौढ़ता उन्हीं तथ्यों को समझने और व्यक्त करने के स्तर में काफी इज़ाफा कर देती है।
2. आगे के निर्देशों में यूपीएससी ने ‘‘विविध विषयों पर सामान्य जानकारी’’ के साथ-साथ ‘‘विश्लेषण तथा दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता’’ की भी बात कही है। यहाँ ‘‘दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता’’ का संबंध ‘मौलिक विचार’’ से है कि आप उसके बारे में क्या सोचते हैं। यह वह मुख्य विन्दु है, जो परीक्षा को महाविद्यालयीन परीक्षा से बिल्कुल अलग कर देता है। इस प्रकार ‘विश्लेषण’ तथा ‘मौलिकता’ इस परीक्षा की तैयारी के लिए दो सबसे चुनौतीपूर्ण शब्द हैं।
3. समसामयिक ज्ञान (करेंट अफेयर्स) तैयारी के तरीके में एक नया तथा महत्वपूर्ण आयाम जोड़ देते हैं। हांलाकि इतिहास के लिए यह तथ्य ज्यादा मायने नहीं रखता। लेकिन अन्य विषयों की तैयारी के लिए तो (यहाँ तक कि भूगोल के लिए भी) यह केन्द्रीय तत्व बन जाता है; क्योंकि जो प्रश्न पूछे जाते हैं, वे इसी के इर्द-गिर्द घूमने वाले होते हैं।
ये तीन मुख्य विन्दु मुख्यतः सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के आपके स्तर का निर्धारण करते हैं-केवल मुख्य परीक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि प्रारम्भिक परीक्षा के लिए भी।

स्रोत

जाहिर है कि जब आप अपने लिए अध्ययन के लिए सामग्री का चयन करेंगे तो वे ऐसी होनी चाहिए कि उनसे आपकी ये आवश्यकतायें पूरी हो सकें। यहाँ मैं इतिहास की तैयारी के लिए कुछ स्रोत सांकेतिक तौर पर बता रहा हूँ। ‘‘सांकेतिक’’ इसलिए कि आप इन्हें ही एकमात्र न मान लें। अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमें जोड़ और घटाव करते रहें।
– इतिहास पर एनसीईआरटी की 12वीं तक की पुस्तकें, पुराना एवं नया संस्करण, दोनों।
– आधुनिक भारत पर, विशेषकर स्वतंत्रता आंदोलन पर स्नातक स्तर की कोई एक अच्छी पुस्तक। बिपीन चन्द्र की पुस्तक एक अच्छी पुस्तक है।
– प्राचीन एवं मध्यमालीन भारत की कला, साहित्य एवं संस्कृति पर थोड़ा अच्छा ज्ञान। साथ ही इन कालों के दर्शन पर भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
– आजादी के बाद के भारत की कुछ ही महत्वपूर्ण घटनाओं को देखना होता है। इसके लिए भी बिपीन चन्द्र की किताब सहायक हो जाती है।
– विश्व का इतिहास अपने आप में बहुत व्यापक है। लेकिन आपको स्वयं को इस व्यापकता के जाल में फँसने से बचाना है। उदाहरण के तौर पर सन् 2017 में ही ‘मलय प्रायद्वीप’ पर एक प्रश्न पूछा गया है। ऐसे प्रष्न परीक्षार्थियों को ‘ज्यादा से ज्यादा पढ़ने’ के लिए उकसा देते हैं। कभी-कभार पूछे जाने वाले ऐसे प्रश्नों को अपवाद मानकर चलना अधिक हितकर होता है।
​​इसके अन्तर्गत आपको इन टाॅपिक्स पर ठीक-ठाक तैयारी करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए-पुनर्जागरण काल, अमेरीका-फ्रांस-रूस एवं चीन की क्रांति, प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध, जर्मनी एवं इटली में फासीवादी, औद्योगिक क्रांति, पूंजीवाद-माक्र्सवाद और समाजवाद, अफ्रीकी देशों में उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद का अंत, जापान का अभ्युदय आदि।
​​विश्व के इतिहास की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की पुस्तक अच्छी है। इसे अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए। इससे आपको विश्व इतिहास की एक झलक मिल जायेगी।
​​अच्छा होगा कि बाद में आप कुछ महत्वपूर्ण टाॅपिक्स पर स्नातक स्तर की भी कोई पुस्तक पढ़ लें। इससे आपकी समझ को थोड़ी मजबूती मिल जायेगी।

तैयारी का ढंग

अब मैं आपसे सामान्य तरह की कुछ ऐसी महत्वपूर्ण व्यावहारिक बातें करने जा रहा हूँ, जिनको उपयोग में लाकर आप इतिहास की अपनी तैयारी को एक ठोस एवं व्यवस्थित रूप दे सकेंगे।
– स्वयं को आतंकित होने से बचायें। यानी कि अधिक से अधिक लेखकों की किताबें पढ़ने से बचें। मुख्यतः एक और अधिक से अधिक दो (वह भी केवल कुछ मुख्य टाॅपिक्स के लिए) पुस्तकें पर्याप्त होंगी।
– एक बार तो पूरे इतिहास की जानकारी ले लें, ताकि उसके बारे में एक सम्पूर्ण धारणा बन सके, धुँधली सी ही सही। इसके बाद केवल महत्वपूर्ण घटनाओं पर ध्यान दें, ऐसी घटनाये, जिनकी अक्सर चर्चा होती रहती हैं।
-​जहाँ तक याद करने का सवाल है, आपका जोर घटनाओं, काल और स्थान पर नहीं होना चाहिए। जोर होना चाहिए- कारण एवं प्रभाव पर। काल और स्थान अधिकांशतः संदर्भ का काम करते हैं।
-​मुख्य परीक्षा की दृष्टि से यह बहुत जरूरी है कि आप एक टाॅपिक को पढ़ने के बाद उस पर थोड़ा विचार भी करें। यानी कि उसके बारे में अपनी तरफ से कुछ सोचें भी। इससे न केवल विश्लेषण की क्षमता ही बढ़ेगी, बल्कि इतिहास की एक समझ भी पैदा होगी, जो प्री तथा मेन्स; दोनों के लिए आवश्यक है।
-​यदि इतिहास का कोई विषय किसी भी कारण से राष्ट्रीय चर्चा में आ जाता है, तो उस पर थोड़ा अधिक ध्यान दें। बेहतर होगा कि उस विषय पर महत्वपूर्ण तथ्य नोट कर लें।
-​इस बात की कतई उपेक्षा न करें कि सिविल सर्विस के लिए इतिहास की तैयारी का अर्थ है-मुख्यतः स्वतंत्रता आंदोलन की तैयारी करना। इस पर आपकी पकड़ बहुत अच्छी होनी चाहिए।
-​सन् 2013 के बाद से मुख्य परीक्षा के पेपर्स क्रमशः सरल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। सन् 2017 में इतिहास पर पूछे गये प्रश्न अपेक्षाकृत कम जटिल हैं। प्रश्न भी महत्वपूर्ण टाॅपिक्स से पूछे गये हैं। लगता है कि यह प्रवृत्ति अगले वर्ष भी जारी रहेगी। इसलिए तैयारी करते समय उलझाव से बचें। अधिक से अधिक को थोड़ा-थोड़ा पढ़ने की बजाय थोड़े को अधिक पढ़ने की नीति अपनाना अधिक लाभकारी होगा।
लगता है कि इन बिन्दुओं को आधार बनाकर आप इस विषय की एक अच्छी तैयारी करके अच्छे अंकों के निकट पहुँच सकते हैं।

NOTE: This article by Dr. Vijay Agrawal was first published in ‘Civil Services Chronicle’.

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