भारत-बांग्लादेश संबंधों की मजबूत डगर
Date:13-04-21 To Download Click Here.
भारत की ‘पड़ोसी पहले’ से लेकर ‘एक्ट ईस्ट’, कनेक्टिविटी से लेकर व्यापार, सुरक्षा से लेकर विकास से जुड़ी दक्षिण एशियाई क्षेत्र की नीतियों में ढाका हमेशा केंद्र में रहा है। ऐसा करने में न केवल भारत के अपने हित रहे हैं, बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के विस्तृत हित भी शामिल रहे हैं।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा इस महत्व को रेखांकित करती है। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय समझौतों का एक सुनहरा चरण स्थापित किया है। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच पिछले 50 वर्षों से चली आ रहे रक्त संबंधों और विषम स्थितियों के दौरान सहयोग की गहराई को भी उजागर कर दिया है।
यात्रा की महत्वपूर्ण बातें –
- यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के नायक और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता माने जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान के मकबरे के दर्शन करने गए थे। उनके जन्मस्थान पर जाने वाले वे किसी देश के पहले प्रधान नेता भी रहे।
- 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद से ही बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध बहुत सरल नहीं रहे हैं। सन् 2001 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सत्ता में आते ही संबंध और भी खराब हो गए थे। बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के 12 वर्षों के कार्यकाल में संबंधों को नई सकारात्मक दिशा मिली। उन्होंने भारत की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की रणनीति अपनाई।
2009 के बाद से प्रधानमंत्री हसीना द्वारा पूर्वोत्तर भारत में किए जाने वाले शांति प्रयासों से विद्रोहों और हिंसा में 80% की कमी आई है। इसके बाद से ही इस क्षेत्र में बांग्लादेश और भारत के बीच अनेक कनेक्टिविटी योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बांग्लादेश के 50 उद्यमियों को भारतीय स्टार्टअप और इनोवेशन में जुड़ने के लिए आमंत्रित किया है।
- बांग्लादेश के युवाओं के लिए स्वर्ण जयंती छात्रवृत्ति की घोषणा की गई है।
- बांग्लादेश-भारत डिजीटल सर्विस एण्ड एम्प्लायमेन्ट ट्रेनिंग सेंटर के जरिए बांग्लादेशी युवाओं को अनेक तरह की सहायता देने का वायदा किया गया है।
- वेक्सीन कूटनीति के जरिए बांग्लादेश को कोविड-19 वेक्सीन की 12 लाख डोज भेजी गई हैं।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच बाधारहित परिवहन साधनों के द्वारा दोनों देशों के व्यापार को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। बांग्लादेश में निवेश कर रहे भारतीय कपड़ा व्यापारी अब अपनी इकाई त्रिपुरा में भी डालने के इच्छुक हैं। इसके अलावा बांग्लादेश की सशक्त इंटरनेट सेवाएं, पूर्वोत्तर भारत में आई टी उद्योग के विस्तार की संभावनाएं तलाश रही हैं।
कुल मिलाकर बांग्लादेश से जुड़ी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि क्षेत्र में भी मजबूती आने के द्वार खुल गए हैं। कम शब्दों में इसे भारत-बांग्लादेश संबंधों के स्वर्ण युग की शुरूआत कहा जा सकता है।
विभिन्न समाचार-पत्रों पर आधारित।