भारत को अफ्रीका से संबंधों को मजबूत रखना चाहिए

Afeias
18 Jan 2023
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भारत की विदेश नीति में अफ्रीका का महत्वपूर्ण स्थान है। अफ्रीका के 54 देशों में से अधिकांश विकासशील या कम विकसित हैं। दुनिया के जी-20 समूह में इस वर्ष दक्षिणी देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के लिए यह समझना जरूरी है कि अफ्रीका में किस प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं, और अन्य देशों के साथ उसकी किस प्रकार की साझेदारी है। यह अफ्रीकी एजेंडे को आगे बढ़ाने में भारत के योगदान का निर्धारण करेगा।

अफ्रीका-अमेरिका-चीन

अफ्रीका में चीन की भागीदारी काफी लंबे समय से बड़ी मात्रा में रही है। इसकी व्यापार साझेदारी और निवेश, अमेरिका की तुलना में बहुत ज्यादा है। चीन अफ्रीका के बीच में सन् 2000 से ही फोरम ऑन चाइना अफ्रीका कॉपरेशन बना लिया गया था। इस कॉपरेशन में चीन और अफ्रीका के अनेक मंत्री और नेता शामिल हैं, जो तीन वर्षों में एक बार मिलते हैं। चीनी राष्ट्रपति भी इन बैठकों में स्वयं उपस्थित होते हैं या डिजिटली भाग लेते हैं। दोनों देशों के बीच समयवद्ध निर्णय लेने के लिए मंत्रियों का साझा तंत्र है। कुल मिलाकर दोनों के बीच मजबूत साझेदारी है।

दूसरी ओर, अमेरिका ने भी कुछ समय से अफ्रीकी यूनियन के 49 देशों के साथ संबंध मजबूत करने की शुरूआत की है। जी-20 समूह में अफ्रीका यूनियन के देशों को स्थायी सदस्यता देने के लिए अमेरिका ने समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी अफ्रीका के स्थायी प्रतिनिधित्व को पूर्ण समर्थन दिया है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की अगले साल तक अफ्रीका यात्रा का वादा किया गया है। 2015 के बाद से किसी अमेरिकी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति की यह पहली अफ्रीका यात्रा होगी। अमेरिका ने अफ्रीका में निवेश भी बढ़ाया है।

भारत के लिए निहितार्थ –

  • अफ्रीका में भारत की इक्विटी चीन और अमेरिका की तुलना में पुरानी और समृद्ध है। लेकिन इसे आश्वासन की तरह नहीं लिया जाना चाहिए।
  • पिछले दो दशकों में भारत ने महाद्वीपीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय स्तर पर अफ्रीका के साथ राजनैतिक और आर्थिक संबंध स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
  • 2015-19 की अवधि के दौरान मोदी सरकार ने अफ्रीकी देशों से उच्च स्तरीय सहयोग की पहल की है। वैश्विक परिस्थितियों ने इस पहल की गति को कुछ धीमा कर दिया है।

अफ्रीका ने विकास के लिए एजेंडा 2063 तैयार किया है। इसे साकार करने में भारत का सर्वप्रथम सहयोग यह हो सकता है कि वह जी-20 समूह में अफ्रीकी देशों की स्थायी सदस्यता की पुरजोर कोशिश करे। भारत को अमेरिका के साथ मिलकर अफ्रीका में काम करना चाहिए। अंततः, 2024 में होने वाले भारत-अफ्रीका फोरम के शिखर सम्मेलन के लिए उत्साहपूर्वक योजना बनाई जानी चाहिए। यह भारत के हित में होगा।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित राजीव भाटिया के लेख पर आधारित। 28 दिसम्बर, 2022