ऐतिहासिक चिंतन की जरूरत

Afeias
19 Jan 2023
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भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन को लेकर चल रहे वाद-विवाद के बीच नवम्बर, 2021 में महिला एवं बाल विकास, खेल एवं शिक्षा मंत्री ने विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के अध्यायों में किए जाने वाले परिवर्तनों का डिजाइन संसद में प्रस्तुत किया था। इससे संबद्ध समिति ने इस परिवर्तन के तीन उद्देश्य बताए थे।

1)    राष्ट्रीय नायकों के अनैतिहासिक तथ्यों और विकृतियों के संदर्भो को हटाना।

2)    भारतीय इतिहास के सभी कालखंडों के समान या आनुपातिक संदर्भ सुनिश्चित करना। तथा

3)    इतिहास में महान महिला नायकों की भूमिका पर प्रकाश डालना।

परामर्श के बाद समिति ने अनेक सुझाव दिए हैं। इनमें बच्चों की सीखने की क्षमता के विकास, पाठ्यपुस्तकों की सामग्री, महिलाओं की इतिहास एवं स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी को उजागर करते हुए उनकी पारंपरिक छवि में सुधार करना, एडटेक का भरपूर उपयोग, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार में वृद्धि, क्रिटिकल थिंकिंग, दूरसंचार, सृजनात्मकता आदि को बढ़ावा देने पर विचार करना मुख्य हैं।

सुझावों की आलोचना –

समिति के इन सुझावों का इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने जबरदस्त विरोध किया है। आलोचना में कहा गया है कि पाठ्यपुस्तकों में वर्णित इतिहास को सुधारने के नाम पर जिन सुझावों का प्रस्ताव किया गया है, उनके लिए राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के किसी इतिहासकार से परामर्श नहीं लिया गया है। बल्कि पूर्वाग्रह से पीड़ित गैर अकादमिक पृष्ठभूमि वाले राजनीतिज्ञों ने ये सुझाव दिए हैं। पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में भी यही बातें कही गई हैं।

कुछ प्रश्न –

यहाँ ऐतिहासिक सोच और समझ से जुड़े कुछ प्रश्न खड़े होते हैं। क्या इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के सही-गलत को परखने के लिए जनता पर भरोसा किया जाना चाहिए? क्या जनता में यह समझ विकसित की जानी चाहिए? अगर हाँ, तो कैसे?

इन प्रश्नों के उत्तर में कहा जा सकता है कि अगर भारतीय प्रभुसत्ता का आधार जनता है, तो जनता में इस प्रकार की ऐतिहासिक समझ विकसित की जानी चाहिए कि वह लोकतंत्र का प्रभावी हिस्सा बन सके। इस प्रकार की ऐतिहासिक समझ का प्रतिशत फिलहाल कम है। हमारे पास ऐसे कई ढांचे हैं, जो ऐतिहासिक चिंतन को विकसित करने में सार्थक सिद्ध हो सकते हैं। जैसे एससीआईएम-सी समराइजिंग, कंटैक्सचुअलाइजिंग, इनफरिंग, मॉनेटरिंग, कोरोबरेटिंग या आरसीएच (असेसमेंट सेंटर फॉर हिस्ट्री) या हिस्टारिकल थिंकिंग स्टैण्डर्स आर्टिक्ंयूलेटेड (गैरी नैशं द्वारा)। इसके अलावा भी कालानुक्रमिक सोच; ऐतिहासिक विश्लेषण और व्याख्याय ऐतिहासिक अनुसंधान, क्षमताएं तथा ऐतिहासिक मुद्दों का विश्लेषण आदि ऐसे कौशल हैं, जिन पर विद्यार्थियों से काम कराया जाना चाहिए।

विद्यार्थी ही भविष्य के नागरिक होंगे, जो देश के इतिहास की सही समझ रखते हुए सही निर्णय लेने में सफल हो सकेंगे। इससे ऐतिहासिक चिंतन की सामान्य प्रवृत्ति विकसित हो सकेगी, जो लोकंतत्र की मजबूती का आधार बनेगी।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित विक्रम विन्सेन्ट के लेख पर आधारित। 27 दिसम्बर, 2022

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