भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
Date:22-10-20 To Download Click Here.
हाल ही में ए आई से जुड़ा विश्व सम्मेलन रेस्पान्सिबिल ए आई फॉर सोशल एमपावरमेन्ट (रेज) संपन्न हुआ है। इस सम्मेलन में देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को ए आई आधारित बनाने पर जोर दिया गया है। भारत भी अपने ‘ए आई फॉर ऑल’ नारे के बैनर तले ए आई कुशल कार्यबल और अनेक स्टार्टअप से जुडा आधुनिक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर सकता है। भारत की युवा जनसंख्या ए आई जैसी तकनीक को अपनाने के लिए आतुर है। स्टेनफोर्ड ए आई वाइबरेन्सी इंडेक्स ने भारत के ए आई प्रशिक्षित विशाल कार्यबल को देखते हुए उसे दूसरा स्थान दिया है। भारत के अनेक स्टार्टअप जैसे रेजरपे , जीरोधा , पाइनलैब्स और नायका ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में काम करके समाज की जरूरतों को पूरा किया है।
- स्वास्थ के क्षेत्र में मशीन लर्निंग आधारित एल्गोरिदम ने मरीजों के भविष्य के स्वास्थ के ठीक से समझने और उसे ठीक रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। समय पर बीमारी का निदान ढूंढने और रक्षात्मक उपायों में भी यह लाभदायक सिद्ध हुआ है। वर्तमान में चल रहे कोविड-19 में ए आई आधारित चैटबॉट ने ‘मायगव’ के संचार को बहुत आसान बना दिया है। इसी प्रकार , इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने वॉटसन असिस्टेंट के माध्यम से जाँच और निदान की सुविधाएं दी हैं।
- जल-प्रबंधन, फसल बीमा और पेस्ट कंट्रोल से संबंधित ए आई तकनीकें विकसित की जा रही हैं। इमेज रेकगनिशन , सिंचाई की ऑटोमेटेड देखरेख आदि के माध्यम से किसान जंगली घास को आसानी से खत्म कर सकेंगे वे बेहतर फसल और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकेंगे।
तीन जिलों में मौसम के हिसाब से सलाह के आधार पर खेती करने के प्रयोग किए जा रहे हैं। मृदा की नमी के बारे में सही सूचना प्राप्त होने से किसानों को सही निर्णय लेने में सहायता मिलेगी।
- ए आई पर आधारित बाढ की भविष्यवाणी भी की जा रही है। इसे बिहार में शुरू किया जा चुका है। संपूर्ण भारत में इसका विस्तार करते हुए बाढ़ के 48 घंटे पहले ही चेतावनी देकर जन-धन की हानि को बचाया जा सकता है।
- स्कूल से निकलने वाले बच्चों को डेटा साइंस , मशीन लर्निंग और ए आई के जानकार बनाने हेतु सीबीएसएई ने ए आई का एकीकृत पाठ्यक्रम तैयार किया है। इलैक्ट्रानिक मंत्रालय ने ‘रेसपॉन्सिबिल ए आई फॉर यूथ’ कार्यक्रम के माध्यम से सरकारी स्कूलों के करीब 11000 बच्चों को ए आई का बेसिक कोर्स करवाया गया है।
भारत के डिजीटल जगत में ए आई के संयोग से 2035 तक अर्थव्यवस्था में 957 अरब डॉलर की वृद्धि की जा सकती है। सन 2025 तक डेटा और ए आई के माध्यम से रोजगार के अनेक अवसर भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
ए आई की शक्ति डेटा होता है। भारतीयों के डेटा को सुरक्षित रखकर अपने तरीके से प्रशासित करने के लिए सरकार कुछ कड़े नियम बनाने की तैयारी में है। भारत एक ऐसा डेटा-समृद्ध समाज बनाना चाहता है , जिसमें अनेक अवसर हों , लोग सशक्त बन सकें और ईंज ऑफ डुईंग बिजनेस को बढ़ावा मिल सके।
रेज़ 2020 सम्मेलन ने एक उत्तरदायी ए आई के लिए ऐसा रोडमैप बनाने की शुरूआत की है , जिसका आधार नैतिकता से बंधा हुआ हो।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अभिषेक सिंह के लेख पर आधारित। 8 अक्टूबर , 2020