आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की चुनौतियां

Afeias
03 Oct 2017
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Date:03-10-17

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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की देन स्वचालन (Automation) को आने वाले आर्थिक, सामाजिक परिदृश्य के अग्रदूत के रूप में देखा जा रहा है। अगर हम यू.के. के डिलॉयट और अमेरिका के मेकेंसी की मानें, तो आने वाले दशक में स्वचालन के कारण एक तिहाई या आधी नौकरियाँ खत्म हो जाएंगी। ऐसी स्थिति में भारत को अपने भविष्य के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

फिलहाल भारत के 90 प्रतिशत कर्मचारी अनौपचारिक रूप से संगठित हैं और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जन्मी आर्थिक ऊथल-पुथल का आसानी से शिकार बन सकते हैं। स्वचालन के प्रसार के साथ ही संविदात्मक नियुक्तियों की संख्या बढ़ेगी और वेतन में बहुत कमी आएगी। निर्माण उद्योग से जुड़े अनेक श्रमिक,जो अभी कान्ट्रेक्ट पर काम कर रहे हैं, थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक के आने के बाद तो बेकार ही हो जाएंगे। इसी प्रकार पूर्वी एशिया के देशों में रोबोट के जरिए होने वाली कृषि के सस्ते उत्पाद जब भारत में आने शुरू हो जाएंगे, तब भारत के किसानों की और भी ज्यादा दुर्दशा हो जाएगी। वाहनों के क्षेत्र में पहले ही रोबोट प्रवेश कर चुके हैं। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 40 प्रतिशत नौकरियां कम हो चुकी हैं।

उठाए जाने योग्य कदम

  • संक्रमण काल के इस दौर में भारत को सबसे पहले कृृषि कर्म में लगे लोगों के लिए इसके इतर व्यवसायों की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। कृषि का कार्य स्वचालन के जरिए आसानी से किया जा सकता है। भारत में वैसे भी केवल दस प्रतिशत कृृषक ऐसे हैं, जो भू-स्वामी हैं। इन्हें रोबोट के जरिए कार्य का प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
  • ऐसा करने से पूर्व सरकार को राष्ट्रीय औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचे से संबंधित नीति लानी होगी। यह नीति लोक-निर्माण पर आधारित एवं स्वचालित मशीनों द्वारा सवंर्धित होनी चाहिए। इसका उद्देश्य कृषि कर्म से मुक्त हुए श्रमिकों को रोजगार देना हो। वर्तमान में लोक-निर्माण से जुड़ा एक अवसर भारत की बढ़ती आबादी के लिए मकान उपलब्ध कराने में दिखाई दे रहा है।
  • नवीनीकरणीय ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उत्पादन में भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार की योजनाओं में थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक उत्प्रेरक का काम कर सकती है।
  • भारत में प्रबंधन और वितरण के क्षेत्र में अनेक समस्याएं हैं। इस क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मददगार हो सकता है। इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से काम करने वाले सहकारी संगठनों में कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया जा सकेगा। दूसरे, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग की अनिवार्यता से इसके काम जनता की नजर में रहेंगे। इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाईयां ज्यादा अच्छी तरह से काम करेंगी।
  • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण प्रशासन के ढांचे में सुधार होगा। इसके माध्यम से भ्रष्टाचार एवं धोखेबाजी को पकड़ा जा सकेगा।

पूर्व में आई हुई एक उत्पादक शक्ति की तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी एक हथियार है। यह हम पर है कि हम इसका इस्तेमाल किस प्रकार कर पाते हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अनुपम गुहा के लेख पर आधारित।

 

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