उत्तर-पूर्वी राज्यों का देश से एकीकरण

Afeias
03 Apr 2018
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Date:03-04-18

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त्रिपुरा, मेघालय और नगालैण्ड के हाल के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अप्रत्याशित प्रदर्शन ने राजनीतिक पंडितों को अनेक अटकलें लगाने पर मजबूर कर दिया है। वास्तव में, यह सकारात्मक परिवर्तन अप्रत्याशित नहीं माना जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने 2014 में कार्यभार संभालते ही इस सीमांत क्षेत्र को मुख्य भूमि बनाने के लिए अनेक योजनाओं, नीतियों और भावनात्मक सौहार्द से पाट दिया था। यह उनकी ‘एक्ट ईस्ट‘ नीति का भी हिस्सा था। सरकार के अथक प्रयास ने उत्तर -पूर्वी राज्यों की व्यवस्था में निश्चित ही ऐसा अप्रत्याशित परिवर्तन कर दिखाया, जिसका प्रयास उनकी पूर्व सरकारों ने नहीं किया था।

  • कई दशकों में, नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने शिलाँग में नार्थ ईस्टर्न कांऊसिल के अधिवेशन में भाग लिया।
  • बहुत लंबे अर्से के बाद किसी प्रधानमंत्री ने मिजोरम की यात्रा की। प्रधानमंत्री बनने के छः माह के भीतर ही उन्होंने असम, मणिपुर, त्रिपुरा और नागालैण्ड की तीन दिन की यात्रा की थी।
  • प्रधानमंत्री ने अपने साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल में दो बार अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की।
  • प्रधानमंत्री की उत्तर-पूर्वी राज्यों में की गई ये यात्राएं परिवर्तनकारी रहीं। इन यात्राओं में इस क्षेत्र के लोगों के लिए रोज़गार और आजीविका से जुड़ी अनेक नीतियों और योजनाओं का शुभारंभ किया गया। वन अधिनियम में बदलाव से इस क्षेत्र के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बांस को आजीविका का साधन बनाया जा सकेगा।
  • 2014 से पूर्व मेघालय के लोगों के लिए टेªन लाइन होना एक स्वप्न की बात थी। त्रिपुरा से बांग्लादेश की सीमा के लिए ट्रेन लाइन पर काम चल रहा है। मेघालय से गुवाहटी को रेलमार्ग से जोड़ने का काम भी चल रहा है।
  • त्रिपुरा ओएनजीसी कंपनी के यूनिट दो की शुरूआत, गुवाहाटी में आई आई टी की स्थापना, ब्रह्यपुत्र नदी पर भूपेन हजारिका सेतु एवं आईजोल में पनबिजली परियोजना का लोकार्पण कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो वर्तमान सरकार द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास के लिए किए गए कार्यों की लंबी सूची की झलक प्रस्तुत करते हैं।
  • प्रधानमंत्री ने एक अवसर पर कहा था कि ‘हम अपनी मातृभूमि के संपूर्ण विकास को तब तक सुनिश्चित नहीं कर सकते, जब तक पश्चिम के साथ-साथ पूर्व का भी विकास न करें। यह उनकी ‘एक्ट ईस्ट‘ नीति के पीछे की अहम् भावना को प्रदर्शित करता है।
  • इस नीति के चलते बांग्लादेश के साथ परिक्षेत्रों के आदान-प्रदान का ऐतिहासिक समझौता किया गया।

इन राज्यों के लिए एक पृथक सड़क विकास परियोजना का निर्माण, सिक्किम में हवाई अड्डे का निर्माण, गुवाहटी हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय बनाना कुछ अन्य ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने पिछड़े और आंतरिक क्षेत्र कहे जाने वाले उत्तर-पूर्वी राज्यों को मुख्य-भूमि बनाने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय इतिहास में यह किसी सरकार द्वारा किए गए प्रथम प्रयास के रूप में याद रखा जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित जीतेंद्र सिंह के लेख पर आधारित। लेखक, उत्तरपूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री हैं।