वैश्विक लैंगिक असमानता रिपोर्ट

Afeias
20 Aug 2025
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आर्थिक भागीदारी, स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा के मामले से जुड़ी 148 देशों की रिपोर्ट में भारत 13वें स्थान पर है। ये केवल सामाजिक संकेतक नहीं हैं। ये राष्ट्रीय प्रगति में बाधक संरचनात्मक विफलता के संकेत हैं। इन मानकों पर देश में फैली लैंगिक असमानता उजागर होती है।

कुछ बिंदु –

  • शैक्षणिक उपलब्धि में प्रगति के बावजूद, भारत महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वायत्तता को सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
  • रिपोर्ट दर्शाती है कि जन्म के समय भारत का लिंगानुपात दुनिया में सबसे विषम अनुपातों में से एक है। यह पुत्र को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • महिलाओं की स्वस्थ जीवन प्रत्याशा पुरूषों की तुलना में कम है।
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार 15 से 49 आय वर्ग की लगभग 57% भारतीय महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं। इससे उनकी सीखने, काम करने या सुरक्षित रूप से गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है।
  • आर्थिक भागीदारी और अवसर की समानता उप-सूचकांक में भारत 143वें स्थान पर है।
  • महिलाएं पुरूषों की तुलना में एक तिहाई से भी कम कमाती हैं।
  • केवल रोजगार ही नहीं, बोर्डरूम से लेकर बजट समितियों तक उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
  • अवैतनिक देखभाल कामों का बोझ महिलाओं के समय और उनकी क्षमता पर बड़ा बोझ बना हुआ है। वे पुरूषों की तुलना में सात गुना अधिक अवैतनिक घरेलू काम करती हैं।

समाधान –

  • आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए महिलाओं को स्वस्थ समर्थित और आर्थिक रूप से सक्रिय रखा जाना चाहिए।
  • लैंगिक असमानता को पाटने से 2025 तक भारत के जीडीपी में 770 अरब डॉलर की बढ़त हो सकती थी। अभी हम इस लक्ष्य से पीछे हैं।
  • बाल और वृद्ध देखभाल केंद्रों-सेवाओं और मातृत्व लाभ जैसे देखभाल संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश से लाखों महिलाओं को कार्यबल में भगीदारी का अवसर मिल सकता है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को समय के उपयोग से जुड़े सर्वेक्षणों, लैंगिक बजट के लिए उरूग्वे और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से सीखना चाहिए। इन्होंने सकारात्मक परिणामों के साथ अपनी विकास योजनाओं में देखभाल व्यवस्था को जोड़ना शुरू कर दिया है।

लैंगिक समानता अब केवल अधिकारों का मुद्दा नहीं है। यह एक जनसांख्यिकीय और आर्थिक आवश्यकता है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट भारत के लिए एक चेतावनी है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित पूनम मुतरेजा और मार्तंड कौशिक के लेख पर आधारित। 12 जुलाई, 2025