
छोटे उद्यमों को विनियमन से मुक्त किया जाना चाहिए
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- हाल ही के आर्थिक सर्वेक्षण में संभावित वृद्धि के लिए छोटे उद्यमों को विनियमन से मुक्त करने का सुझाव दिया गया है।
- फिलहाल बड़े उद्यमों की तुलना में छोटे उद्यमों पर अनुपालन का बोझ अधिक है।
- सुझाव में यह भी कहा गया है कि अगर श्रम-गहन छोटे उद्यमों को जोखिम और विश्वास आधारित विनियमन पर स्विच किया जाए, तो उनका समावेशी विकास हो सकता है।
- विनियमन को समाप्त करने की मुहिम राज्यों से शुरू की जानी चाहिए।
- केवल विनियमन को समाप्त करने भर से भारत की 6.5% वृद्धि दर 8% तक नहीं पहुंचेगी। इसके लिए निवेश के हिसाब से उसके प्रतिफल पर भी काम करना होगा।
- वैश्विक वातावरण अधिक विनियमित होता जा रहा है। संरक्षणवादी करने वाली अर्थव्यवस्थाएं अपने विनिर्माण निर्यात में कटौती कर सकती हैं। हमारे छोटे उद्यमों के लिए यह अच्छा अवसर है।
- विनियमनों में ढील देने के अलावा सरकार को छोटे उद्यमों से होने वाले निर्यात के लिए पर्यावरण संबंधी रणनीतिक मार्गदर्शन भी देना होगा।
- कर निश्चितता को सुधारने की जरूरत है।
- ऊर्जा संक्रमण को सरल बनाया जाना चाहिए।
- राज्य सरकारों की तरह, केंद्र को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के समान बेंचमार्क बनाना होगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 01 फरवरी, 2025
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