पश्चिम अफ्रीका पर भारत का रणनीतिक झुकाव

Afeias
31 Dec 2024
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प. अफ्रीका के वित्तपोषण और बुनियादी ढ़ांचे के निर्माण में भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार बना हुआ है। हाल ही में जी 20 के शिखर सम्मेलन में जाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नाइजीरिया में रणनीतिक पढ़ाव डाला। वहाँ प्रधानमंत्री को नाइजीरिया के दूसरे सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार, ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑड द नाइजर से सम्मानित किया गया। 1969 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद यह सम्मान पाने वाले द्वितीय विदेशी नागरिक हमारे प्रधानमंत्री रहे। यह भारत के बढ़ते वैश्विक कद और ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रधानमंत्री को मिले विश्वास और मान्यता को रेखांकित करता है।

भारत-नाइजीरिया संबंध पर कुछ बिंदु –

  • नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे बड़ा लोकतंत्र दोनों है। अफ्रीकी संघ में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।
  • नाइजीरिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को भारत उच्च प्राथमिकता दे रहा है। रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे संबंधों को बढ़ाने में दोनों देशों की रुचि है।
  • आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी से जूझ रहे नाइजीरिया को भारत मजबूत सहयोग के लिए आश्वस्त करता रहा है। इसमें भारतीय हथियारों की खरीद और इस्लामी समूहों, विशेष रूप से बोको हरम के खिलाफ आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग शामिल है। मिस्र, अल्जीरिया, मोरक्को, तंजानिया और मोजाम्बिक को हथियार बेचने के साथ भारत अफ्रीका के लिए एक प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है।
  • दोनों देशों के बीच छह दशकों से अधिक की घनिष्ठ साझेदारी में, भारत दो मोर्चों पर नाइजीरिया के विकास-भागीदार के रूप में उभरा है – रियासती ऋण के माध्यम से विकास सहायता प्रदान करना, और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम।

यह सब महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि नाइजीरिया सहित अफ्रीका के कई देशों में चीनी घुसपैठ बढ़ती जा रही है। सस्ते ऋण की आड़ में वह लगातार इन देशों में अपनी पकड़ बढ़ाता जा रहा है। यह भारत के लिए चिंताजनक है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित हर्ष वीण् पंत और समीर भट्टाचार्य के लेख पर आधारित। 5 दिसंबर, 2024