स्वच्छ भारत अभियान के तीन वर्ष
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2 अक्टूबर, 2014 से स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत हुई थी। इस मिशन को चलते हुए लगभग तीन वर्षों का समय पूरा होने वाला है। शहरी विकास मंत्रालय के साथ स्वच्छ जल एवं स्वच्छता विभागों ने इस कार्यक्रम को राज्य स्तर पर सुचारू रूप से चलाने का प्रयत्न किया है। परन्तु प्रधानमंत्री द्वारा इस मिशन को जिला एवं ब्लॉक स्तर पर केन्द्रित करने की सोच ही इसकी सफलता की कुंजी सिद्ध हो रही है और होगी भी। इस अभियान की कुछ खास उपलब्धियां निम्न हैं।
- अभी तक पाँच राज्य, 149 जिले और08 लाख गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है।
- राष्ट्रीय स्वच्छता क्षेत्र में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- शहरी वार्डों में लगभग 50 प्रतिशत में ठोस कचरा एकत्रीकरण का काम हो रहा है।
- शहरी क्षेत्रों में 20,000 एवं ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख स्वच्छाग्रही कार्यकर्ता काम कर रहे हैं।
- स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग प्रसाधन का प्रतिशत 37 से बढ़कर 91 हो गया है।
- खुले में शौच की प्रथा का समाप्त करने के लिए अनेक निगरानी समितियां बनाई गई हैं। इनका काम घरों में बनाए गए शौचालयों की गिनती करना नहीं, बल्कि खुले में शौच करने वालों को व्यावहारिक ज्ञान देकर इसके नुकसान बताना रहा है। इस अभियान में बहुत हद तक सफलता भी मिली है।
- भारत में स्वच्छता अभियान का सीधा संबंध वहाँ की जातियों, वर्गों, समुदायों तथा भिन्न-भिन्न लिंग से भी जुड़ा है। सबकी अपनी मान्यताएं हैं। इन सबको साथ लेकर मिशन को चलाना एक जटिल काम है।
- हमारे देश में बड़ी संख्या में दिव्यांग हैं। इनकी अपनी अलग आवश्यकताएं एवं मजबूरियां हैं। इनके अनुकूल शौचालयों आदि की व्यवस्था का कार्य भी कठिन है।
इन सब कठिनाइयों के होते हुए भी इन तीन वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन को यथेष्ट सफलता प्राप्त हुई है।
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के लिए भविष्य में केवल शौचालयों के निर्माण से काम नहीं चलेेगा। कचरा निष्पादन भी एक बड़ी समस्या है। इस मिशन के द्वारा अब हम उस स्थिति में पहुँच चुके हैं, जहाँ लोगों के अंदर स्वच्छता के प्रति चेतना जगाने के साथ ही व्यावहारिक स्तर पर भी परिवर्तन लाया जा सकता है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित नैना लाल किदवई के लेख पर आधारित।