स्वच्छ भारत अभियान

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14 Jun 2016
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14-June-2016Date: 14-06-16

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चलाए स्वच्छ भारत अभियान

को पूरा करने के लिए अभी मूलभूत स्तर पर बहुत कुछ करने की जरूरत है। भारत के पास उचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। इसके अलावा कचरा निष्पादन प्रणाली और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत अभाव है। खुले में शौच, गटर की सफाई, गाँव और कस्बों में खराब निष्कासन तंत्र कुछ ऐसे रोड़ें हैं, जिन्हें स्वच्छ भारत मिशन की कामयाबी के लिए दूर करना बहुत जरूरी है। अस्वास्थ्यकर स्थितियों में रहने वाली अधिकांष जनसंख्या डेंगू, मलेरिया, डायरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों से जूझ रही है।

कुछ समाधान

  • पूरे देश को स्वच्छ बना पाना कोई छोटा-मोटा काम नहीं है। न ही यह अकेले सरकार के वष की बात है। भारत की3 अरब आबादी का स्वस्थ और स्वच्छ जीवन केवल सरकार के भरोसे नहीं हो सकता। इसके लिए निजी क्षेत्रों को आगे आना होगा। स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए निजी क्षेत्र बड़े आराम से योगदान दे सकते हैं। कार्पोरेट जगत पर्यावरण से जुड़ी परियोजनाएं लाकर स्वच्छ और निवास करने योग्य नगर बना सकता है।
  • कूड़ा निष्पादन स्वच्छ भारत अभियान की एक बहुत बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए नगर निगम कार्पोरेट हाउस और गैरसरकारी संगठनों की मदद से संगठन तैयार करें, तो इसका हल निकाला जा सकता है।
  • कार्बनिक खाद्य सामग्री के निष्पादन के लिए वैज्ञानिक प्रणाली का प्रयोग करके इसे उपयोगी बनाया जा सकता है। इसके गलत तरीके से निष्पादन के अनेक दुष्प्रभाव हैं, जैसे-मीथेन जैसी गैस का उत्सर्जन, बदबू, मच्छर, मक्खी, चूहे और अन्य प्रकार के कीटाणुओं के पनपने से बीमारियों का संक्रमण आदि। जबकि इसे सही प्रकार से प्रोसेस किए जाने पर यह कार्बनिक खाद एवं नवीनीकृत ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
  • पूना एक ऐसा शहर है, जहाँ कार्बनिक खाद्य कूड़े को निष्पादित करने की उचित कार्यप्रणाली है।
  • प्लास्टिक, कागज, गत्ते, धातु अकार्बनिक कूड़े जैसे को नगर निगम के कूड़ाघर में भेजा जा सकता है, जहाँ से यह रिसाइकलिंग उद्योग में भेजा जा सकेगा।
  • जनता, सरकार और निजी क्षेत्र की मदद से हर भारतीय शहर को स्वच्छ व स्वस्थ बनाया जा सकता है।

दि इकोनोमिक टाइम्समें प्रकाषित एक लेख पर आधारित

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