ब्लॉकचेन कानून : पक्ष- विपक्ष

Afeias
09 Aug 2019
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Date:09-08-19

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हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी तथा ब्लॉकचेन की वैधता का विश्लेषण करने के लिए गठित अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट दी है। इस समिति की सिफारिश को मानते हुए क्रिप्टोकरेंसी एण्ड रेग्यूलशन ऑफ ऑफिशियल डिजीटल करेंसी बिल, 2019 में इससे संबंधित कठोर दंड का प्रावधान रखा गया है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है ?

यह एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जो भौतिक रूप में उपलब्ध नहीं होती। यह आभासी (वर्चुअल) मुद्रा है। इसका उपयोग ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से लेन-देन के लिए किया जाता है। बिटकॉइन इथीरियम, रिप्पल, लाइटकॉइन आदि कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी हैं।

वर्तमान विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी रखने, बेचने या लेन-देन करने पर 10 वर्ष के कारावास का भी प्रावधान है। सरकार को अंदेशा है कि इस करेंसी का उपयोग कालेधन को वैध बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए विधेयक लाया गया है।

इंटरनेट के आने के बाद से तकनीकी क्रांति की दिशा में बढ़ते भारत के लिए ऐसा नियमन कानून प्रस्तावित करना एक महत्वपूर्ण कदम है।

ब्लॉकचेन के लाभ –

यह ऐसी तकनीक है, जिसमें क्रेता-विक्रेता के मध्य पैसे का सीधा स्थानांतरण किया जा सकता है। इसमें किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होती। वर्तमान में दो लोगों के मध्य धन का ट्रांजैक्शन बैंक, मनी ट्रांसफर आदि के माध्यम से होता है। ब्लॉकचेन तकनीक से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर में ट्रांजैक्शन की वैधता को जांचा और उसका ब्योरा रखा जाता है। जो लोग अपना कंम्प्यूटर इस तकनीक से जोड़ते हैं, उन्हें वेलीडेटर्स कहा जाता है। इसके माध्यम से ट्रांजैक्शन बनाने पर उन्हें टोकन के रूप में शुल्क मिलता है।

सरकार क्राइम और हैकिंग को रोकने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को फुलप्रूफ सिस्टम के तौर पर जाना जाता है।

ब्लॉकचेन डिजिटल करेंसी बिटकॉइन पर आधारित है। यह मुद्रा विकेन्द्रित क्रिप्टो करेंसी होती है। इसे कभी भी कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मुद्रा पर किसी व्यक्ति, सरकार या कम्पनी का स्वामित्व नहीं होता है। इस कारण कभी किसी तरह की बेईमानी होने पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकती।

ब्लॉकचेन के नैनो पेमेंट और इंटरनेट पर लेन-देन के अनेक लाभ हैं। इसके कारण फेसबुक जैसी कंपनी ने हाल ही में अपने भुगतान, किसी बैंक के बजाय ब्लॉकचेन के माध्यम से करने की घोषणा की है।

अनेक पूंजीपतियों ने भी 2018 में 24 अरब डॉलर का निवेश ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी स्टार्टअप में किया है। 2019 में इसके बढ़ने की संभावना है।

विधेयक का प्रभाव

भारत में ऐसा कानून लाने से ब्लॉकचेन नेटवर्क के वेलीडेटर के रूप में ट्रांजैक्शन फीस कमाने का अवसर खत्म हो जाएगा। तकनीक से जुड़े नवोन्मेष से होने वाले लाभों से भारतीय वंचित रह जाएंगे।

यूरोपीय उदाहरण

यूरोप की संसद और परिषद कालेधन को वैध बनाने संबंधी दिशानिर्देशों पर काम कर रही है। इसके कार्यान्वयन की तिथि जनवरी 2020 रखी गई है। इसके अंतर्गत क्रिप्टोकरेंसी में डील करने वालों का “नो योर कस्टमर” रिकार्ड रखा जाएगा। उन्हें स्थानीय प्रशासन में पजींकरण भी कराना होगा।

यूरोपीय संघ आयोग ने भी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई नियम-कानून बनाकर उनके परिचालन को नियंत्रित करने की तैयारी कर ली है। भारत भी इस प्रकार के साधन अपना सकता है, जिससे देशवासी तकनीक के लाभों से वंचित न रहें।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित अनिल के. एंटनी और अंकुर प्रसाद के लेख पर आधारित। 18 जुलाई, 2019

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