ब्लॉकचेन तकनीक

Afeias
29 Jan 2018
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Date:29-01-18

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2017 से जिस प्रकार से डिजीटल भुगतान की शुरूआत हुई है, उसके कारण फाइनेंशियल टेक्नॉलॉजी या फिनटेक (Fintech) कंपनियाँ तेजी से अपना प्रसार कर रही हैं। फिनटेक कंपनियां ऐसी कंपनियां हैं, जो फाइनेंशियल या वित्तीय सेवाओं के लिए परंपरागत तरीकों के स्थान पर तकनीक एवं नवाचार की मदद से सेवाएं देना चाहती हैं। ये फिनटेक कंपनियां ब्लॉकचेन और एप की सहायता से ऋण देने से लेकर बीमा आदि के क्षेत्र में काम कर रही हैं। ऐसा अनुमान है कि 2018 में फिनटेक क्रांति की कर्णधार, ब्लॉकचेन तकनीक बनेगी।

ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी मध्यस्थ के बिना ही इंटरनेट पर वित्तीय लेन-देन किया जा सकता है। यह तकनीक बहुत पारदर्शी, सुरक्षित एवं सक्षम है। इस तकनीक के इस्तेमाल से अनेक उद्योगों में लेन-देन की कायापलट हो जाएगी। आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां ही सबसे पहले इस तकनीक का आश्रय ले रही हैं।

जहाँ तक भारत की स्थिति का सवाल है, 2016 में विमुद्रीकरण के बाद से डिजीटल लेन-देन में भारी वृद्धि हुई है। ऐसा अनुमान है कि 2020 तक ये गत वर्ष की तुलना में 10 गुना बढ़ जाएंगे। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि 2016-17 में इनमें 162 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सन् 2022 तक मोबाईल वॉलेट मार्केट की कुल वृद्धि दर 148 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।भारत में बढ़ते डिजीटल उपयोग को देखते हुए सरकार ने ब्लॉकचेन की महत्ता को समझ लिया है। इसी संदर्भ में आंध्रप्रदेश सरकार ने पहला ब्लॉकचेन सेंटर बनाने की पहल की है। इसके लिए स्टार्टअप्स और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और राजस्थान भी इस दिशा में कदम उठा रहे हैं।

  • ब्लॉकचेन के माध्यम से भारत में भूमि दस्तावेज, सम्पत्ति रजिस्ट्री, ऑटो रिकार्ड तथा, वित्तीय लेन-देन के रिकार्ड को सुगठित किया जा सकता है।
  • ऐसा संभव होने से बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकेगा।
  • विस्तृत अनौपचारिक सेक्टर को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया जा सकेगा।
  • नीति आयोग इंडिया स्टैक एवं आधार से जुड़े ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) को परिपूरित करने के लिए ब्लॉकचेन का पूरा तंत्र विकसित करने की योजना बना रहा है।
  • इस तंत्र की मदद से सब्सिडी वितरण, भू-रिकार्ड के नियमन, लघु व मझोले उद्यमों को वित्तीय सहायता देने तथा न्यायालयों के मुदकमों के निपटान आदि क्षेत्रों में काम को सुगम बनाया जा सकेगा।
  • सरकार ने प्रीपेड पेमेंट निर्देशों में इंटेरोपेराबिलिटी यानी सूचना के आदान-प्रदान की अनुमति दी है। इसकी मदद से अब उपभोक्ता अपने मोबाईल वॉलेट से दूसरे में फंड ट्रांसफर कर सकेंगे। इस प्रकार के समझौते से डिजीटल पेमेंट उद्योग का क्षेत्र बढ़ेगा और समान वातावरण पनपेगा। सारे भुगतान अधिक सुरक्षित और अधिकृत होंगे। इंटेरोपेराबिलिटी से वॉलेट की विश्वसनीयता बढ़ेगी। वॉलेट एक तरह से वर्चुअल बैंक की तरह काम करेगा, जिससे कोई भी, कहीं भी धन का आदान-प्रदान कर सकेगा। इससे हमारी प्रगतिशील अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता का विश्वास बढ़ेगा।

अब हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि डिजीटल सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक लोग उठा सकें। सरकारी विभागों को भी डिजीटल लेन-देन के दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए। डिजीटल माध्यम से लेन-देन के ज्ञान को फैलाया जाना चाहिए।सरकार ने जीएसटी के डिजीटल पेमेंट पर 2 प्रतिशत की छूट दे रखी है। इससे कार्यप्रणाली सुगम होगी। इन सब माध्यमों से अब भारत को डिजीटल सम्पन्न समाज होने के साथ-साथ ज्ञान आधारित आर्थिक शक्ति में रूपांतरित होना होगा।

इकॉनॉमिक टाइम्स में बिपिन प्रीत सिंह के लेख पर आधारित।

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