देश का मिशन हो अन्वेषण

Afeias
28 Jun 2017
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Date:28-06-17

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भारत के पास विकास की ऐसी क्षमताएं हैं, जिनके लिए कुछ देश लालायित रहते हैं। भारत की युवा और सक्षम पीढ़ी आज देश के लिए सबसे बड़ा वरदान है। उनकी आकांक्षाओं और नई तकनीक को अपनाने के  प्रति रुझान ने भारत को कुछ दशक में ही उन्नत कर दिया है।

उदारीकरण के बाद से जिन क्षेत्रों में हमने तरक्की की है, उनका लाभ देश के बहुत से वर्गों तक पहुँचाने का काम अभी बाकी है। हमारे देश में ऐसे बहुत से गांव हैं, जिन्हें विद्युत, सड़क और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए फिलहाल भारत को ड्रोन, घरेलू रोबोट और उच्च तकनीक वाली कारों से ज्यादा, आवश्यक समाज के उस वर्ग का उत्थान करना है, जो वंचित हैं। सुविधाएँ मिलने पर यह वर्ग कई मायनों में देश की शक्ति में भागीदार बन सकता है।

इस लक्ष्य को साकार करने का एक ही रास्ता अन्वेषण है। ऐसा अन्वेषण, जो भारत की समस्याओं पर केन्द्रित हो। भारत में अन्वेषण का इतिहास बहुत प्राचीन है। सिंधु घाटी की सभ्यता, वैदिक काल तथा मौर्य-गुप्त काल आदि की विकसित सभ्यताओं के पीछे यही अन्वेषण रहा है। परन्तु आज हम अन्वेषण के मामले में विश्व में 60वें स्थान पर हैं।

भारत की उपलब्धियाँ

  • ईसरो या भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने अमेरिका और यूरोपियन स्पेस एजेंसी को काँटे की टक्कर दे रखी है। भारत ने अपने पड़ोसी देशों के उपग्रहों के प्रक्षेपण को शुल्क मुक्त करके विश्व के समक्ष एक और प्रतिमान स्थापित किया है।
  • ईसरो की स्वदेशी तकनीक, डिजाइन और लागत में किफायत पर हम सबको गर्व है।
  • हमारी दूसरी उपलब्धि हमारा टेलीकॉम उद्योग है। कम कीमत की प्रीपेड मोबाइल तकनीक का विकास अपने आप में मिसाल रखता है।

भारत के टेलीकॉम उद्योग ने भारत की जनता के हर वर्ग को ध्यान में रखकर 5 और 10 रुपये के रिचार्ज पैकेज की जिस प्रकार से शुरूआत की उसने टेलीकॉम के क्षेत्र में एक क्रांति सी ला दी। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भारत टेलीकॉम के क्षेत्र में विश्व में दूसरे नंबर पर है।

भारत के गांवों और शहरों में इंटरनेट का जाल भी तेजी से फैला है। भले ही हमारी स्पीड विकसित देशों की तुलना में कम हो, परन्तु फिर भी यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सन् 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरूआत के बाद से ई-रिटेलिंग में भी एक नया अध्याय शुरू हुआ। 2010 में फ्लिपकार्ट ने ‘कैश ऑन डिलीवरी’ की शुरूआत करके लोगों का विश्वास जीत लिया और ई-कॉपर्स को एक नई दिशा मिल गई। फ्लिपकार्ट की ‘नो कॉस्ट ई एम आई’ नीति ने लाखों लोगों के लिए उन वस्तुओं को खरीदना संभव कर दिया, जो पहले संभव नहीं थीं।

  • भारत में अन्वेषण का एक अन्य व्यापक क्षेत्र आधार कार्ड रहा है। यह एक ऐसी शुरूआत रही, जिसका विश्व के अन्य देशों में उदाहरण नहीं मिलता है। इसके द्वारा हमारी 1 अरब 30 करोड़ जनता को आवश्यक सुविधाएं देने का एक रास्ता तैयार किया जा सका है। इससे भारत के करोड़ों लोगों को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सका है। सरकारी सेवाओं को दलालों की मध्यस्थता के बिना सही व्यक्ति तक पहुँचाने में मदद मिली है।

भारत के अन्वेषण के इतिहास की जो चर्चा हमने प्रारंभ में की थी, उसे देखते हुए यही लगता है कि विश्व से आयातित और जबर्दस्ती थोपी गई तकनीकों से भारत का विकास संभव नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं, परिवहन, शिक्षा, कचरा-निष्पादन जैसी भारत की अपनी समस्याओं और उनकी आवश्यकताओं को देखते हुए विकसित की गई तकनीकें ही प्रकाश की किरण ला सकती हैं।

सन् 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने आगामी दशक को ‘अन्वेषण का दशक’ बताया था। इसमें से आधे से ज्यादा समय निकल चुका है। यही सही समय है, जब हमें अपनी प्राप्तियों का आकलन करना चाहिए।

इकॉनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित बिन्नी बंसल के लेख पर आधारित।