औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक व्यापक आर्थिक लचीलेपन की ओर संकेत कर रहे हैं।
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- औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक का वर्तमान आधार वर्ष (Base Year) के हिसाब से मूल्यांकन करने पर व्यापक आर्थिक प्रगति (Macroeconomic) की खुशनुमा तस्वीर सामने आती है। 2011-12 से शुरू हुए आधार वर्ष के अनुसार औद्योगिक उत्पाद सूचकांक पिछले पाँच वर्षों में 82% वार्षिक की औसत दर से बढ़ा है। यह पिछले आर्थिक वर्ष से मार्च 2017 तक 5% की दर से बढ़ा है। 2004-05 के आर्थिक वर्ष से अगर 2016-17 की तुलना की जाए, तो 0.07% के मामूली अंतर से ऊपर रहा है।
- एक बात स्पष्ट है कि घटक क्षेत्र के परिवर्तन और व्यक्तिगत क्षेत्रीय घटकों के पुनर्गठन ने पिछले समय की तुलना में औद्योगिक गतिविधियों को मजबूत किया है ?यहाँ चेतावनियों और स्पष्टीकरणों का भी उल्लेख किया जाना चाहिए। थोक मूल्य सूचकांक के लिए वित्तीय आधार वर्ष को अपडेट सूचकांक के 109 उत्पादों का बदलना है। इस बदलाव से मुद्रास्फीति में संतुलन के साथ औद्योगिक उत्पादों के मूल्य अपने आप बढ़ जाएंगे।
- केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर की तुलना करना गलत होगा, क्योंकि 2011-12 के लिए मासिक स्तर पर सूचकांक 100 पर सामान्य रखा गया है। उद्योगों में दर्ज की गई बढ़ोतरी और बंद उद्योगों को सूची से निकालकर देखे जाने पर वृद्धि दर की जानकारी दी जानी चाहिए।
- निर्माण उद्योग में लगभग 2% की वृद्धि हुई है। जबकि बिजली उत्पादन में नवीकरणीय स्त्रोतों को शामिल करने के बाद 8% की वृद्धि कही जा सकती है। तकनीकी समीक्षा समिति के रूप में एक ऐसा तंत्र तैयार कर दिया गया है, जो समय-समय पर सूची के अनुसार उत्पादों और सीरिज की जांच करेगा।
- औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक की अलग-अलग समीक्षा किए जाने से औद्योगिक उत्पादन और थोक मूल्य सूचकांक की ताजा और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। यह देखने वाली बात है कि नई सीरीज के साथ औद्योगिक उत्पाद सूचकांक और सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों की भिन्नता में कितनी कमी आ पाती है, या पूर्ण रूप से लुप्त हो जाती है।यह पूर्ण रूप से सत्य है कि औद्योगिक उत्पाद सूचकांक हमारी आर्थिक प्रगति को दर्शाने का एक बहुत अहम् साधन है।
‘द हिंदू‘ के संपादकीय पर आधारित।