अनुच्छेद 356
Date: 05-05-16
हाल ही में उत्तराखंड में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के राष्ट्रपति के आदेश को उत्तराखंड राज्य के उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के इस आदेश पर रोक लगा दी। आखिर अनुच्छेद 356 है क्या?
अनुच्छेद 356
- 1935 के गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट के सेक्षन 45 पर आधारित है। इसके अनुसार संघीय या केद्रीय स्तर पर सरकारी मषीनरी के विफल होने की घोषणा वायसराय कर सकता था।
- भारतीय संविधान में यह अधिकार राष्ट्रपति के पास है। राज्य का राज्यपाल केवल रिपोर्ट भेज सकता है।
- भारतीय संविधान के 18वें भाग में अनुच्छेद 356 का प्रावधान है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।
- भारतीय संविधान सभा में इस अनुच्छेद के दुरुपयोग की आशंका व्यक्त की गई थी, जिसको लेकर सन् 1949 में बी.आर. अंबेडकर ने कहा भी था कि ‘देष प्रमुख से उम्मीद की जाती है कि वह उक्त राज्य को पहले सचेत करेगा।’
- अनुच्छेद 356 के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए सरकारिया आयोग गठित किया गया, जिसने 1600 पेज की रिपोर्ट तैयार की।
- इसमें कर्नाटक राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस आर बोग्मई को राज्यपाल ने बहुमत सिद्ध करने की अनुमति न देते हुए राष्ट्रपति शासन की अपील की थी। बाद में इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
- सन् 2001 में जस्टिस बी.पी. जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाया गया।
- इस आयोग ने सिफारिस की कि अनुच्छेद 356 को कुछ सुधारों के साथ रखा जाए। उनकी सिफारिष लागू नहीं हो पाईं।
- इसके बाद सन् 1999 में बिहार सरकार की बर्खास्तगी को लेकर भी विवाद हो चुके हैं।
उम्मीद की जा सकती है कि वर्तमान सरकार उत्तराखंड के मामले में सरकारिया आयोग की सिफारिषों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाएगी।
‘‘टाइम्स ऑफ इंडिया’’ के सम्पादकीय पर आधारित