विश्व व्यापार संगठन में भारत का एक बार फिर से सक्रिय होना
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विश्व व्यापार संगठन ने पिछले हफ्ते अनेक बहुपक्षीय व्यापार मुद्दों पर बातचीत की है। इसमें मछली पकड़ने पर सब्सिडी से लेकर वैक्सीन जैसे कई विवादास्पद मुद्दे शामिल रहे हैं।
कुछ मुख्य बिंदु –
- महामारी की वैक्सीन के लिए पेटेंट वेवर या छूट, उत्पादन और निर्यात तक सीमित है। भारत इसमें छूट के दायरे को बढ़ाना चाहता है।
- भारत को अनाज निर्यात करने के प्रस्ताव पर कोई स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
- मछुआरों को दी जाने वाली सब्सिडी पर स्वीकृति जरूर प्राप्त हो गई है।
- अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए भारत ने ई-कॉमर्स के लिए जो कड़े नियम बनाने चाहे हैं, उनमें उसे थोड़ी ढील देनी पड़ी है।
- इस सम्मेलन के निर्णय संरक्षणवाद की प्रवृत्ति के खिलाफ खड़े हैं। महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़ रही इस प्रवृत्ति से आपूर्ति संकट भी बढ़ गया है।
- ऊर्जा संकट के कारण राष्ट्रों को अपनी ईंधन आपूर्ति व्यवस्था पर एक बार फिर से काम करना पड़ रहा है। इस हेतु सभी राष्ट्र बुनियादी ढांचें को स्थापित कर रहे हैं। खाद्य संकट के कारण निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ गया है, जिससे अकाल की आशंका होने लगी है। ऐसी स्थिति में विश्व व्यापार संगठन की बैठक बहुत महत्वपूर्ण कही जा सकती है।
- संगठन की बैठकों में आए एक बड़े अंतराल के बीच भारत जैसे कई देशों ने अन्य क्षेत्रीय समूहों से अपने को जोड़ लिया है। साथ ही उसने बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के बजाय द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों पर अपना अधिक विश्वास दिखाना शुरू कर दिया है। संगठन की मंत्रिस्तरीय बातचीत में भारत की सक्रिय भागीदारी के कारण एक बार फिर से वैश्विक व्यवस्था के दुरूस्त होने की उम्मीद हो गई है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 20 जून, 2022
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