5 जी के अनेक लाभ

Afeias
20 Jul 2022
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हाल ही में सरकार ने 5 जी की सेवाओं को शुरू करने की घोषणा की है। यह एक परिवर्तनकारी तकनीक है, जो विभिन्न क्षेत्रों में लाभ के साथ संचार में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। आर्थिक विकास को गति देने के अलावा, उद्योग 4.0 के लिए 5 जी आवश्यक है। यह भारत में डिजिटलीकरण की गति को तेज बनाएगा। विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर एक नजर –

शिक्षा और स्वास्थ्य

  • महामारी ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण की शक्ति को रेखांकित किया है।
  • 5 जी की उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड (ईएमबीबी) सुविधा के साथ, डिजिटल शिक्षा को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा सकता है।
  • पीएम विद्या का विस्तार करते हुए यह देश के प्रत्येक छात्र को मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री वितरित कर सकता है।
  • ‘फिजिटल’ मोड में दिए गए व्यावसायिक प्रशिक्षण से युवाओं और महिलाओं की रोजगार क्षमता में सुधार हो सकेगा।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में अल्ट्रा-रिलायबल लो-लेटेंसी कम्यूनिकेशन सुविधा से उपयोगकर्ता के अनुकूल प्वाइंट ऑफ केयर निदान और कनेक्टेड एम्बुलेंस को सक्षम बनाया जा सकेगा।
  • एम-हैल्थ से विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सलाह तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
  • एक अस्पताल में चलने वाले निजी 5 जी नेटवर्क से डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की क्षमता बढ़ सकती है, क्योंकि इसके साथ वे इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य कार्ड रख सकेंगे और बेहतर निगरानी कर सकेंगे। 

नेक्स्टजेन बैंकिंग और परिवहन

  • ईएमबीबी और यूआरएलएलसी, दोनों सुविधांए मददगार सिद्ध होंगी।
  • भारत पहले ही यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के साथ विश्व में अग्रणी बन चुका है।
  • भू-स्थानिक सूचना प्रणाली की मदद से ‘वन टैप पेमेंट’ और कैशियरलैस स्टोर मॉडल जैसे सरल, सहज और सुरक्षित भुगतान के अगले स्तर तक पहुंच सकते हैं।
  • मोबाइल औपचारिक बैंकिंग प्रणाली की दिशा में पेमेंट बैंक मॉडल को विस्तार दिया जा सकता है। यह नागरिकों को एक आभासी या वर्चुअल शाखा का अनुभव दे सकता है, जिसमें विभिन्न बैंक सुविधाएं होंगी।
  • परिवहन और गतिशीलता में 5 जी के मैसिव मशीन टाइप कम्यूनिकेशन (एमएमटीसी) से परिणाम परिवर्तनकारी हो सकते हैं।
  • इलैक्ट्रिक वाहन और चार्जिंग स्टेशन को बढ़ाकर इसका एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने में मदद मिल सकती है।
  • टोल और एंट्री कर के लिए फास्टैग जैसी सभी ट्रांजिट प्रणालियों को एकीकृत करने से क्षेत्र की दक्षता में सुधार होगा और कार्बन फुटप्रिंट भी कम हो सकते हैं।
  • ड्रोन सेवा के लिए यातायात नियंत्रण और नेविगेशन में यूआरएलएलसी की सुविधा मिल सकेगी।
  • बंदरगाहों पर लंबी प्रतीक्षा और माल की भरमार से होने वाली कठिनाइयों को 5 जी की तकनीक से व्यवस्थित किया जा सकेगा।

 किसानों का मित्र, उद्योगों का आधार 4.0

  • कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा में फसलों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों की निरंतर निगरानी के लिए खेतों को विविध प्रकार के सैंसर से लैस किया जा सकता है।
  • यहां तक कि छोटे किसान भी थोड़े से वर्चुअल प्रशिक्षण के साथ 5 जी के माध्यम से सिंचाई क्षमता और पैदावार में सुधार कर सकते हैं।
  • पवन और सौर ऊर्जा के फार्म पहले ही कई सेंसर लगा चुके हैं, लेकिन वे दूरदराज के क्षेत्रों में है, इसलिए उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। 5 जी के साथ उनकी दक्षता में मौलिक सुधार किया जा सकता है।
  • विनिर्माण और उद्योगों में 5 जी का असर सबसे ज्यादा दिखाई देने वाला और ठोस होगा। इनमें 5 जी निजी नेटवर्क इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसर और उपकरणों की सरणी को जोड़कर इंटेलीजेंट एल्गोरिदम के आधार पर विभिन्न प्रक्रियाओं को संचालित किया जा सकता हैं।
  • विनिर्माण कारखानों में ऐसे नेटवर्क कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए दक्षता में अनुमानित 2-4 गुना सुधार कर सकते हैं। कोई भी उद्योग; जो प्रक्रियाओं को डिजिटाइज करने में सक्षम है, वह 5 जी के लाभ उठा सकता है।

सेवा वितरण और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाना

  • प्रशासन और सार्वजनिक सुरक्षा, सेवा वितरण और नागरिक जुड़ाव के प्रयास में 5 जी के डिजिटल आइडेंडी वेरीफिकेशन से सुधार किया जा सकता है। डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर और ऐसी ही अन्य योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाई जा सकती है।
  • भारत के मेट्रों नगरों में सार्वजनिक स्थानों और यातायात की रियल टाइम मॉनिटरिंग से सुरक्षा और भीड़भाड का उचित प्रबंधन किया जा सकता है।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित तंत्र की तैनाती, 5 जी के वर्चुअलाइजेशन फीचर का उपयोग करके स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत परियोजनाओं की दक्षता में सुधार किया जा सकता है।

इस प्रकार, 5 जी की प्रत्येक विशेषता के कई विकासात्मक क्षेत्रों में अनेक लाभ हैं। हमें तकनीकि भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए 5 जी को अपनाने और उसका लाभ उठाने की आवश्यकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अभिताभ कांत के लेख पर आधारित। 16 जून, 2022

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