विश्व व्यापार संगठन की अनसुलझी समस्याओं के साथ बैठक संपन्न
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हाल ही में विश्व व्यापार संगठन एपेक्स की 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक संपन्न हुई है। पूरी बैठक में वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाले मुख्य बिंदुओं पर कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी। फिर भी, विश्व में बढ़ती अशांति के बीच संगठन व्यापार के जिन नियमों को लागू करना चाहता है, उनके लिए नींव रखने में यह बैठक महत्वपूर्ण सिद्ध हुई।
वैश्विक व्यापार में वर्तमान बाधाएं –
- शिपमेंट मार्गों पर व्यवधान
- विश्व के कई देशों के आपसी टकराव
- आपूर्ति श्रृंखलाओं में अकेले चीन का प्रभुत्व
- देशों में बढ़ती अंतर्मुखी प्रवृत्ति उत्प्रेरित अलगाववाद
- इसी से जन्मी भारी कर वाली व्यापार नीतियां
समाधान का प्रयास कितना यथार्थ –
- अबूधाबी घोषणा पत्र में मुक्त समावेशी और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं की जरूरत को संबोधित भर किया गया, परंतु जमीनी तौर पर कुछ भी नहीं किया जा सका है।
- घरेलू खाद्य सुरक्षा से जुड़े कृषि संबंधी सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग और मत्स्य पालन में सब्सिडी जैसे भारतीय हितों के मुद्दों पर कोई सर्वसम्मति नहीं बन सकी।
- ई-कॉमर्स में सीमा शुल्क पर छूट की समाप्ति का भारत का प्रस्ताव था। भारत का कहना है कि इस छूट से विकासशील और गरीब देशों को हानि उठानी पड़ रही है। फिलहाल इस छूट को अगले दो साल तक जारी रखने पर सहमति हुई है।
- संगठन के फ्रेमवर्क में चीन ने अपने नेतृत्व में 120 देशों के समर्थन से निवेश सुविधा समझौता प्रस्तुत करने का प्रयास किया था। भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर इसे विफल करने में सफलता प्राप्त की।
- भारत को आगे बढ़ते हुए संगठन में कृषि जैसे मामलों के लिए नीतिगत स्थान बनाए रखने के प्रयासों को दोगुना करना होगा। संगठन को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए भी बहुत कुछ करना होगा।
‘द हिंदू‘ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 5 मार्च, 2024
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