वर्चुअल हमला

Afeias
28 May 2021
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Date:28-05-21

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आए दिन बढ़ती साइबर हमले की घटनाओं ने आज बडी-बडी कंपनियों की नींद उड़ा रखी है। इन हमलों के द्वारा हमलावर कम्प्यूटर और उसके नेटवर्क के जरिए डेटा को निष्क्रिय, नष्ट, चुराने या सूचना एकत्र करने का काम करते हैं। हाल ही में यू.एस. कोलोनियल पाइपलाइन, जो अमेरिका के पूर्वी तट में तेल आपूर्ति का प्रमुख जरिया है, के डेटा पर रेन्समवेयर हमला किया गया है। इसने इस ऊर्जा कंपनी को तुरंत ही बंद होने पर मजबूत कर दिया है। संघीय सरकार ने आपातकाल की स्थिति बताते हुए ऊर्जा आपूर्ति के वैकल्पिक मार्ग को चुना है। इस घटना को देखते हुए डिजिटलीकरण के फैलते परिदृश्य में साइबर सुरक्षा से जुड़े खतरों पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए।

मैलवेयर एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर है, जो महत्वपूर्ण कंप्यूटर फाइलों को लेने के लिए सुरक्षा अंतराल का उपयोग करता है। रैंसमवेयर मेलवेयर का एक रूप है। यह वैध उपयोगकर्ता को आवश्यक फाइलों तक पहुँचने से रोक सकता है। पिछले पाँच वर्षों में यह ऐसे माध्यम के रूप में उभरा है, जिसके माध्यम से साइबर अपराधी सरकारी मददगारों के बिना भी हानि पहुँचाने में सफल हो रहे हैं। 2017 में वान्नाक्राई और नॉटपेट्या ऐसे ही दो रैन्समवेयर थे, जिनके माध्यम से अनेक देशों पर हमले किए गए थे। एक ने तो मर्क कंपनी के वैक्सीन निर्माण को भी प्रभावित कर दिया था।

रैन्समवेयर हमलों के चलते सॉफ्टवेयर कोड का चलन बहुत बढ़ गया है। घरेलू उपकरणों से लेकर पॉवर ग्रिड तक सभी जगह कोड लगाये जाने लगे हैं। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते चलन से अब साइबर अपराधियों को नए मार्ग से भुगतान प्राप्त करने की सुविधा दे दी है।

साइबर अपराध से निपटने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर भारी समन्वय की आवश्यकता है, क्योंकि कंप्यूटर नेटवर्कों का परस्पर जुड़ाव खतरों को बढ़ाता है। इसके अलावा साइबर अपराध के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। अतः सभी देशों में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे निकायों के माध्यम से प्रतिक्रिया मानकों को स्थापित करने का प्रयास किया जा सकता है। इस खतरे पर नया गठबंधन भी बनाया जा सकता है।

भारत की सीईआरटी-इन, जो इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम है, को भी देश के डिजटलीकरण की गति के साथ तालमेल बैठाने के लिए संसाधन आवंटन के संदर्भ में अपग्रेड किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही साइबर अपराधियों की काम करने की गति के साथ अपने टास्क फोर्स की गति बढ़ाने की जरूरत होगी। तब जाकर इन हमलों पर नियंत्रण की उम्मीद की जा सकती है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 मई, 2021

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