विकसित भारत के लिए आगे की राह
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भारत को 2024 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने के लिए 55 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की नींव आज से ही रखनी होगी। प्रमुख अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम का तर्क है कि 8% की दीर्घकालिक विकास दर संभव है। इस हेतु कुछ उपाय करने की जरुरत है –
- 5% मुद्रास्फीति और 0.5% मुद्रा का अवमूल्यन जरुरी है। इसका परिणाम यू.एस. डॉलर में 12.5% की समग्र जीडीपी वृद्धि दर है। इसका अर्थ है कि 24 साल की अवधि में जीडीपी हर छह साल में दुगुनी हो जाएगी।
- भारत की वृद्धि समावेशी होनी चाहिए। यदि हम इसे चार स्तंभों पर आधारित करें, तो 100 वर्ष की आयु में आत्मनिर्भर भारत को साकार कर सकते हैं। ये स्तंभ हैं –
1) विकास पर मैक्रो-इकॉनॉमिक फोकस
2) एक बड़ा मध्यम वर्ग बनाने के लिए सामाजिक और आर्थिक समावेशन
3) निजी क्षेत्र द्वारा नैतिक धन सृजन, तथा
4) निजी निवेश से प्रेरित एक न्याययुक्त परायण चक्र।
- मध्यम आय के जाल से बचना जरूरी है –
- इसकी कुंजी आर्थिक मानसिकता में बदलाव में निहित है। हमें धन कमाने वालों का सम्मान करने की आवश्यकता है।
- धीरे-धीरे सब्सिडी और संरक्षणवाद को खत्म किया जाना चाहिए।
- विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधि को आसान बनाने के लिए सुधारों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया जाना चाहिए।
- कृषि क्षेत्र में छोटे किसानों के गठबंधन को सुधार का प्रमुख लाभार्थी बनाया जाना चाहिए।
- डिजिटल पुलों को डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से और भी मजबूत बनाया जा सकता है।
- अगले 24 वर्षों में, भारत को निजी निवेश और सही निवेश चक्र से संचालित एक नवाचार केंद्र बनना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित के वी कामथ के लेख पर आधारित। 01 अक्टूबर, 2024