विकसित भारत के लिए डिजिटल

Afeias
22 Mar 2025
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आज हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डिजिटलीकरण के कारण असाधारण से लगने वाले कार्यों के साक्षी बन पा रहे हैं। उर्वरक के प्रयोग में कमी, बेहतर जल संसाधन एवं उपज में वृद्धि इसके कुछ छोटे- छोटे उदाहरण हैं। इससे आम नागरिकों का जीवन भी बदला है।

डिजीटलीकरण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम :-

  • भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), AI, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण पर जोर देकर अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है।
  • भारत साफ्टवेयर के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। किंतु अब यह हार्डवेयर के क्षेत्र में भी प्रगति कर रहा है।
  • पाँच निर्माणाधीन सेमीकंडक्टर संयंत्र इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करेंगे। इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद अब हमारे शीर्ष तीन निर्यातों में शामिल है। इस वर्ष भारत की पहली ‘मेक इन इंडिया‘ चिप लांच की जाएगी, जो भारत के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगी।
  • एआई के लोकतांत्रीकरण के लिए 18000 से अधिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के साथ कॉमन कंप्यूटर सुविधा प्रमुख भूमिका निभा रही है। यह पहल मूलभूत मॉडल और अनुप्रयोगों सहित एआई आधारित प्रणालियों को विकसित करने के लिए GPU तक आसान पहुँच बनाएगी।
  • एआई की विश्वसनीयता व समावेशिता को बनाए रखने के लिए तथा पूर्वाग्रहों को कम करने के लिए बड़े स्तर पर गैर-व्यक्तिगत अनाम डाटासेट भी विकसित किए जा रहे हैं।
  • सरकार भारत के अपने आधारभूत मॉडलों के विकास में सहायता कर रही है। इसमें लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समस्या-विशिष्ट एआई समाधान शामिल हैं।
  • एआइ से जुड़े अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
  • भारत डिजिटलीकरण के लिए ‘सार्वजनिक निजी दृष्टिकोण’ रखता है, इस धन का उपयोग आधार, यूनिफाइड पेमेंट सिस्टम और डिजिलॉक जैसे प्लेटफार्म बनाने में किया जा रहा है।
  • सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रानिक्स भारत की तकनीकि-क्रांति की रीढ हैं और डीपीआई इसको आगे बढ़ाने वाली प्रेरक शक्ति। भारत की डीपीआई संरचना में वैश्विक रूचि है। जापान ने भारत की यूपीआई प्रणाली को पेटेंट दिया है, जो इसकी व्यापकता का प्रमाण है।
  • भारत ने महाकुंभ 2025 में निर्बाध संचालन के लिए अपने डीपीआई और एआइ संचालित प्रबंधन का लाभ उठाया है; जैसे – भीड नियंत्रण में यात्रियों की आवाजाही की निगरानी करने के लिए।
  • डीवीआई का लाभ उठाकर महाकुंभ 2025 ने तकनीक सक्षम प्रबंधन के लिए वैश्विक मानदंड स्थापित किये हैं।
  • देश हर हफ्ते एक वैश्विक क्षमता केंद्र जोड़ रहा है, जो वैश्विक अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है।
  • सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, एआइ, 5जी और सेमीकंडक्टर डिजाइन को शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव करके इस चुनौती का समाधान कर रही है। इससे शिक्षा व रोजगार के मध्य फासला कम होगा।
  • एआई से संबंधित जोखिमों को दूर करने के लिए केवल कानून पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार तकनीकि सुरक्षा से जुड़े उपायों में निवेश कर रही है। इससे नवाचार बढ़ सकेगा तथा शक्ति के केंद्रीकरण का खतरा भी कम होगा।

भारत का एआइ को लेकर स्पष्ट लक्ष्य है- समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना तथा नवाचार को बनाए रखने वाली नियामक संरचना बनाए रखना।

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