
वनों के विनाश की कीमत पर विकास न हो
To Download Click Here.
हाल ही में तेलंगाना सरकार और हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों सहित नागरिकों के बीच झड़प हुई है। यह विवाद विश्वविद्यालय परिसर से सटे वन-क्षेत्र की 400 एकड़ भूमि पर सरकार की आईटी पार्क बनाने की योजना के कारण हुई है। उच्चतम न्यायालय ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए वहाँ होने वाली गतिविधियों पर विराम लगा दिया है। राज्य के विकास की भावना से किए जा रहे कार्यों के बावजूद इस परियोजना का विरोध क्यों किया जा रहा है –
- कार्बन सिंक, जलवायु नियामक, और पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी सेवाओं के प्रदाता के रूप में वन बेजोड़ हैं।
- चाहे सरकार आई टी पार्क के बदले यहाँ इको पार्क बनाने की सोचे; फिर भी मानव का हस्तक्षेप प्राकृतिक वन की समृद्धि की भरपाई नहीं कर सकता है।
- संस्थानों या शहरों से जुड़े वन क्षेत्र की कोई भी भूमि पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसमें बदलाव से हानि होने की पूरी आशंका है। अतः इसे 1980 के वन संरक्षण अधिनिमय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण दिया जाना चाहिए। यह सतत् विकास का आधार है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 09 अप्रैल 2025