
वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु के रूप में भारत
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जनवरी 2025 के 13वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘आज का भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करता है।‘ यह सच भी है कि भारत विकासशील देशों को वैश्विक शासन की एक नई एवं अधिक समावेशी संरचना में ले जाने के लिए आवश्यक सुधारों का नेतृत्व करने का इच्छुक है। इस प्रकार वह वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु का काम कर सकता है। कैसे –
- विश्व के अनेक विकसित देशों के साथ चीन के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सीमित करने के लिए भारत ने क्वाड साझेदारी की है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह इसमें दक्षिणी देशों का सशक्त प्रतिनिधित्व कर रहा है।
- जी-20 समूह सभी देशों के लिए एक साझा वैश्विक भविष्य लाने के मिशन पर है। इसमें फिलहाल एलआईएफई या लाइफ आंदोलन से पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं और एक स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने पर काम किया जा रहा है। 2033 में भारत ने अफ्रीकी संघ को इस समूह में शामिल कराया है।
- वैश्विक दक्षिण में विकास को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से हाल ही में, घोषित ‘वैश्विक विकास समझौता‘ भारतीय अनुभवों और रणनीतियों पर आधारित है।
भारत ने गुट निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व करके दुनिया को दिखा दिया था कि विकासशील देशों के पास तीसरा विकल्प भी है। इसी प्रकार से भारत को अपने अंतरराष्ट्रीय पदचिन्ह को आगे बढ़ाने के लिए मानदंड, मानक और प्रणालियां स्थापित करनी चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित पूजा राममूर्ति के लेख पर आधारित। 11 फरवरी, 2025
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