वैश्विक प्रतिभाओं के लिए कैसे विकल्प बनेगा भारत?
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भारत वैश्विक आप्रवासी कार्यबल बाजार में देर से प्रवेश कर रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था अब पुरानी हो चली है। इसमें श्रमिकों के आवागमन की एक स्थापित व्यवस्था है। कल्याण कार्यक्रमों की भी एक व्यवस्था है। भारत के पास इनमें से कुछ नहीं है। फिर वह कुशल वैश्विक प्रतिभाओं को अपने यहाँ कैसे आकर्षित कर सकता है?
कुछ बिंदु –
- उच्च श्रेणी के विनिर्माण, सेवाओं और ज्ञान के क्षेत्र में भारत का स्थान काफी ऊपर है। इन क्षेत्रों में वैश्विक कार्यबल को अवसर दिया जा सकता है। इससे घरेलू कौशल की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।
- शैक्षणिक और अनुसंधान स्तर पर एक ऐसा वातावरण बनाना होगा, जो वैश्विक स्तर का हो।
- इन उच्चस्तरीय संस्थानों को उद्योगों के साथ जोड़ा जाए, जो वैश्विक स्तर की नौकरियां पैदा कर सकें।
- सांस्कृतिक सौहार्द स्थापित करने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा को उन्नत बनाया जाए।
- भारत में राजकोषीय प्रभाव सकारात्मक हैं। इसके साथ ही सामाजिक और आर्थिक वातावरण को अनुकूल बनाना होगा।
एआई के वर्तमान दौर में भारत में उच्च स्तरीय प्रतिभाओं की मांग बढ़ना तय है। यहाँ का कार्यबल अत्यधिक कुशल नहीं है। युवा जनसंख्या की उम्र बढ़ने के साथ ही प्रतिभावान वैश्विक आप्रवासियों की जरूरत भारत को भी पड़ेगी। इसके लिए अभी से तैयारी में आव्रजन नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 1 मई, 2024
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