
वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापारिक आधार का विस्तार जरूरी
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हाल ही में फरवरी माह सेवा क्रय प्रबंधन सूचकांक में 59 तक की तेज वृद्धि हुई है। एस एण्ड पी ग्लोबल एक सर्वेक्षण कंपनी है, जो 40 से अधिक देशों में क्रय प्रबंधन सूचकांक या परचेसिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) का सर्वेक्षण करती है। यह सूचकांक विभिन्न देशों की आर्थिक गति का प्रमुख संकेतक है।
सूचकांक के मायने क्या हैं –
- इसका अर्थ है कि 2010 से भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 80% हिस्सा रहे विनिर्माण और सेवा क्षेत्र, और अधिक प्रगति पर है।
- भारतीय बाजारों से पूंजी के बाहर जाने के बावजूद लचीलापन बना हुआ है। यह बताता है कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है।
- सेंसेक्स की तिमाही आय भी दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती का स्पष्ट संकेतक है।
चुनौतियां फिर भी हैं –
- अमेरिका ने 9 अप्रैल से पारस्पारिक शुल्कों की घोषणा की है। इससे विनिर्माण क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।
- एन एस ओ अर्थात राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 25 के तीसरे तिमाही के लिए 6.2% वास्तविक जीडीपी विकास का अनुमान रखा है। लेकिन आई टी फर्मों के विकास में 5.1% तक कमी आने की आशंका बनी हुई है।
- भू-राजनीतिक उथल-पुथल और बढ़ता टैरिफ प्रमुख चुनौतियां बने हुए हैं।
इन प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए भारत को तत्काल अपने व्यापारिक आधार में विविधता लानी चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 08 मार्च 2025