
स्वामीनाथन की क्रांति को सदाबहार बनाएं
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एम.एस. स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति लाने में सफल हुए थे। लेकिन उनका दृष्टिकोण एक सदाबहार क्रांति का था, जिस पर अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। स्वामीनाथन ने खेती को टिकाऊ और किफायती बनाने के लिए भारत सरकार को विस्तृत सुझाव दिए थे।
कुछ बिंदु –
- स्वामीनाथन द्वारा परिकल्पित कृषि-अर्थव्यवस्था के अनुसार इस क्षेत्र में बाजार की शक्तियों की बड़ी भूमिका होनी चाहिए। साथ ही किसान को उद्यमी की तरह माना जाना चाहिए।
- स्वामीनाथन ने मुद्रास्फीति इंडैक्स्ड कृषि समर्थन मूल्य की सिफारिश की थी। वर्तमान में भोजन ही मुद्रास्फीति के सबसे बड़े चालकों में से एक बना हुआ है।
- कृषि के लिए स्पेशल इकॉनॉमिक जोन जैसे सुधारों की जरूरत बनी हुई है।
- भारत को भूमि और पानी जैसी कृषि परिसम्पत्तियों में गिरावट किए बिना ही फसल उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की आवश्यकता है।
सरकार ने कृषि में जोखिम और विपणन जैसी दो बड़ी चुनौतियों पर काम किया है। इसे मौसम की मार से बचाने के प्रयास किए हैं। भंडारण मशीनरी को चुस्त-दुरूस्त करके चरमराते विपणन को खत्म करने का प्रयास किया है। कृषि को और मजबूत बनाने के लिए फसल से पहले और फसल के बाद की क्षमताओं में और भी निर्माण की आवश्यकता है। तभी स्वामीनाथन का स्वप्न पूरा होगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 सितंबर, 2023