श्रीलंका के साथ भारत के संबंधों में अधूरापन
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हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंधे ने दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी, कनेक्टिविटी और समृद्धि को उत्प्रेरित करने की दृष्टि से संयुक्त बयान जारी किया है। कुछ मुख्य बिंदु –
- इसका उद्देश्य समुद्री, वायु, ऊर्जा, व्यापार और दोनों देशों के लोगों के बीच नई पहल की शुरूआत करना है। इस हेतु श्रीलंका में नए बंदरगाह और हवाई-अड्डों के निर्माण पर निवेश किया जाएगा। ऊर्जा कनेक्टिविटी में श्रीलंका में नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र विकसित किए जाएंगे। व्यापार में वृद्धि की उम्मीद है।
- श्रीलंका में यूपीआई डिजिटल भुगतान चालू किया जाएगा।
- व्यापार के लिए भारतीय रुपये की मान्यता होगी (रुपये के अंतरराष्ट्रियकरण की दिशा में भारत का एक और प्रयास)।
- पर्यटन, सांस्कृतिक, शैक्षिक और धार्मिक यात्रा को बढ़ाने के तरीकों पर सहमति हुई है।
कुछ महत्वपूर्ण, जो छूट गया –
- श्रीलंका के राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान कोई भी ऐसा लिखित दस्तावेज जारी नहीं किया गया, जो पूर्वी और उत्तरी प्रांतों को शक्तियों के हस्तांतरण के लिए 13वें संशोधन का सम्मान करने की श्रीलंका की प्रतिबद्धता को दिखाता हो।
- भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी पर लंबित मुद्दों को हल करने के लिए कोई समझौता नहीं हुआ।
- भारतीय सरकार को ऐसे संकेत मिले कि द्विपक्षीय वार्ता में तमिल मुद्दे पर बातचीत का स्वागत नहीं किया जा रहा है।
भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। तमिल व अन्य मुद्दों पर बीच में कटुता का वातावरण बन गया था। जब तक विवादास्पद मुद्दों का सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं निकाला जाता है, तब तक दोनों देशों के बीच समझौते का कोई भी दृष्टिकोण अधूरा माना जाएगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधरित। 25 जुलाई, 2023
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