सोशल मीडिया पर एआई जनित सामग्री के लिए सरकार का प्रस्ताव

Afeias
20 Nov 2025
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हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया पर एआई जेनरेटेड और संशोधित सामग्री पोस्ट करते समय अनिवार्य घोषणा किए जाने का प्रस्ताव रखा है। इस मामले में देश यूरोपीय यूनीयन और चीन का अनुसरण करना चाहता है। इसके क्या मायने हो सकते हैं –

  • देश में प्रतिरूपण या छद्म पहचान या इम्परसोनेशन के विरूद्ध कानून हैं। इनका लाभ बहुतों को मिल रहा है। इसी प्रकार रोबोट के उपयोग से बनाई सामग्री के लिए निश्चित नियम भी गलतफहमियों को दूर करने में सहायक होंगे।
  • सरकार के प्रस्ताव से रचनाकारों और प्लेटफॉर्म; दोनों की ही सुरक्षा बढ़ती है। प्रस्ताव में सबसे अच्छी बात यह है कि यह रचनाकारों की घोषणा और प्लेटफॉर्म द्वारा उसकी मान्यता को अनिवार्य बनाना चाहता है। इसमें कृत्रिम सामग्री को परिभाषित किया जा रहा है।
  • डीपफेक के माध्यम से फिलहाल जानी-मानी हस्तियों पर प्रहार किए जा रहे हैं, और वे कानूनी संरक्षण प्राप्त कर रही हैं। लेकिन बड़े स्तर पर आम जनता की सुरक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। प्रस्ताव से उपभोक्ता अधिकारों के लिए सुरक्षा की एक मजबूत परत बनाई जा सकती है।
  • तकनीक के एडवांस होने के साथ-साथ कृत्रिम और मूल साम्रगी में भेद करना मुश्किल होता जाएगा। अतः सामग्री के साथ घोषणा करने से भेद को समझा जा सकेगा।
  • यह प्रस्ताव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता है। इसमें कृत्रिम सामग्री को उसी रूप में लेवल करने की मांग है। यदि नैतिक और पारदर्शी तरीके से उपयोग किया जाए, तो डीपफेक सूचनात्मक या मनोरंजन के उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।

तेजी से होते एआई के विकास के साथ तालमेल बिठाने में कानूनों को कठिनाई हो सकती है। प्रस्ताव के माने जाने से एआई जनित सामग्री को लेबल करने के प्रारंभिक चरण की शुरूआत हो सकेगी।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्समें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 अक्टूबर, 2025