‘स्मार्ट वॉल’ से भारत की सुरक्षा

Afeias
18 Feb 2021
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Date:18-02-21

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सीमाओं की सुरक्षा के लिए हाल ही में ऐसी तकनीक ईजाद की गई है, जिसे ‘स्मार्ट वॉल’ तकनीक कहा जा रहा है। इस तकनीक में सीमा पर दीवार खड़ी किए बिना अब सेंसर, रेडार और सर्वेलेंस तकनीक के माध्यम से घुसपैठ आदि पर नजर रखी जा सकती है। सीमा सुरक्षा से जुड़े कठिनतम कार्यों को संपन्न करने में यह तकनीक सक्षम है।

इस तंत्र की खास बात यह है कि यह मानवों, पशुओं और वाहनों के बीच भेद करते हुए पैट्रोलिंग एजेंट के मोबाइल पर अपडेट भेज सकता है।

भारत की नजर से चलने वाली आतंकी गतिविधियों के चलते घुसपैठियों और स्मगलरों की बड़ी समस्या है। इसके नियंत्रण हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं । काँटे के बाड़ों की सुरक्षा के बावजूद  समय-समय पर घुसपैठिए पकड़े जाते हैं। सीमा पर बनी सुरंगों का भी पता चलता रहता है। इन सबके मद्देनजर भारत के लिए यह तकनीक अत्यंत उपयोगी है।

  • दूसरे, भारत की कई सीमाएं पठारी होने के साथ-साथ विषम जलवायु से युक्त हैं। राजस्थान से लगी रेतीली सीमाएं अत्यधिक गर्म हैं, जबकि लद्दाख से लगी सीमाएं अत्यधिक सर्द हैं। इन कठिन क्षेत्रों के ऊबड़.खाबड़ होने से सीमाओं का विभाजन बहुत स्पष्ट नहीं है। अतः यहाँ कोई भौतिक सीमा बनाना भी मुश्किल कार्य है।
  • ‘स्मार्ट वॉल’ किफायती है, और पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत कम हानिकारक है। यह कम भूमि घेरती है, और जल्दी लगाई जा सकती है।

अगर इस प्रकार के तंत्र को देश की पूरी सीमा पर तैनात न भी किया जा सके, तो भी जटिल सुरक्षा क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। जहाँ बाड लगी है, वहाँ भी इसे बेहतर सुरक्षा के लिए परिपूरक की तरह इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

हमारे सैन्य बलों को आधुनिकतम तकनीकों से लैस होना चाहिए। विशेषज्ञों को इस ओर ध्यान देते हुए सीमा-पार घुसपैठ की समस्या को जल्द सुलझाना चाहिए।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित सिद्धार्थ कपूर और श्रेयसी के लेख पर आधारित। 4 फरवरी, 2021

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