स्मार्ट सिटी मिशन में जुड़ा एक खंडित प्रयास
To Download Click Here.
केंद्रीय आवास और शहरी प्रबंधन मामलों के मंत्री ने हाल ही में घोषणा की है कि स्मार्ट सिटी मिशन के हिस्से के रूप में 80 शहरों में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र या इंटीग्रेडेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर्स या आईसीसीसी स्थापित किए गए हैं। इस परियोजना के माध्यम से शहरों के मौजूदा बुनियादी ढांचे के लिए स्मार्ट सॉल्यूशंस की परिकल्पना की जा रही है।
आईसीसीसी परियोजना के पांच स्तंभ –
- बैंडविड्थ (निश्चित समय में ट्रांसमिट होने वाले डेटा को बैंडविड्थ कहा जाता है)।
- सेंसर और ऐज डिजाइस (ये रीयल टाइम डेटा रिकॉर्ड और जेनरेट करते हैं)।
- विभिन्न एनालिटिक्स (ये सॉफ्टवेयर हैं, जो इंटेलिजेंस उत्पन्न करने के लिए काम आएंगे)।
- डेटा भंडारण, तथा
- आईसीसीसी सॉफ्टवेयर।
इनका उद्देश्य –
- शहरों की प्रेडिक्टव मॉडलिंग करना है। डेटा के उपयोग से न केवल यह बताना कि शहर कैसा है, बल्कि यह भी शहर कैसा हो सकता है।
- भविष्य के रियल एस्टेट हॉट स्पॉट की भविष्यवाणी कर सकता है।
- शहर में सभी दुर्घटना संभावित स्थानों की पहचान पर भविष्यवाणी करना।
- भीड़भाड़ वाले बस मार्गों की भविष्यवाणी करना।
आशंकाएं क्या हैं –
- इस योजना को पहले स्पेशल पर्पज वेहीकल्स में चयनित शहरों में लागू करने की योजना है। एसपीवी की परियोजनाएं, पहले ही स्थानीय निकाय क्षेत्रों के साथ ओवरलैप कर रही हैं। इसके कर्मचारी जब तक स्वास्थ्य, जलापूर्ति जैसे मुख्य क्षेत्रों में आईसीसीसी को नहीं अपनाते, तब तक यह सफल नहीं कहा जा सकता।
- इस सिस्टम के कम उपयोग होने की आशंका है। शहरी निकाय सेवाओं के साथ एकीकरण की कमी, वर्कफ्लो और तकनीकी दक्षता के अभाव में इसका पर्याप्त उपयोग नहीं हो सकता है।
- कुछ बड़े शहर अपने बुनियादी ढांचे और सेवाओं को उन्नत करने के लिए आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं। वहाँ ऐसे बड़े निवेश से विरोधाभास उत्पन्न होता है।
इन सबके मद्देनजर पूछा जाना चाहिए कि क्या शहर इन प्रणालियों को अपने स्वयं के राजस्व से बनाए रख सकेंगे ? यदि नहीं, तो केंद्र द्वारा प्रदत्त अनुदान के बाद ये कैसे चलेंगी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब तक शहरी निकाय और शहरवासियों तक सेवा पहुंचाने वालों को आईसीसीसी के साथ एकीकृत नहीं किया जाता है, तब तक इनकी कोई सार्थकता नहीं होगी।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित पुष्कल शिवम् के लेख पर आधारित। 27 अप्रैल, 2022