शिक्षा क्षेत्र में एआई की कितनी और कैसी भूमिका हो
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ए आई या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विकास के साथ एक अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही यह इंसानों से ज्यादा बुद्धिमान हो जाएगी। इससे एक बात तय हो जाती है कि यह मानवीय क्षमता के समकक्ष कार्य कर सकेगी। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह मददगार सिद्ध हो सकती है। कैसे –
- छात्र-सहायक के रूप में
- शिक्षक – सहायक के रूप में
- शिक्षक के रूप में
- शिक्षा-प्रबंधन में सहायक के रूप में।
शिक्षा के क्षेत्र में यह सहायक जरूर हो सकती है, लेकिन इसका उपयोग सोच-विचारकर ही किया जाना चाहिए। इसके पीछे कुछ कारण हैं –
- ए आई के सहायक होने पर शिक्षकों और छात्रों की सोचने-विचारने की क्षमता पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। इसके आने से ज्ञान संबंधी खोखलापन बढ़ेगा।
- छात्रों की शारीरिक और मानसिक दशा प्रभावित होगी। बच्चों का विकास समूह में बेहतर होता है। एआई के साथ ऐसे वातावरण का बन पाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- ए आई का छात्रों और शिक्षकों पर नियंत्रण किस सीमा तक हो, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
- प्रौद्योगिकी अक्सर अमीरों का खिलौना बनकर रह जाती है। ए आई के साथ भी अगर यह खतरा आता है, तो हमें वंचितों और पिछड़े वर्गों को साथ लेकर चलने का ध्यान रखना होगा।
‘हिंदुस्तान लाइव’ में प्रकाशित अनुराग बेहर के लेख पर आधारित। 12 नवंबर, 2024
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