समुद्री सुरक्षा से जुड़ी समन्वयक की भूमिका
To Download Click Here.
26/11 के मुंबई हमले के 14 वर्षों के बाद अंततः केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक या नेशनल मेरीटाइम सिक्योरिटी कॉर्डिनेटर की नियुक्ति की है। इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा से जुड़ी भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, शिपिंग मंत्रालय एवं बंदरगाहों के बीच समन्वय बनाकर चलना है।
समन्वयक को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के अधीन काम करना होगा।
कुछ मुख्य बिंदु –
- चीन-पाकिस्तान के संयुक्त खतरों का सामना करते हुए भारत को न केवल समुद्र-जनित कमजोरियों को दूर करने, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी समुद्री डिजाइनों पर भी नजर रखने की जरूरत है।
- भारत के 7,5,16 किलोमीटर के विशाल समुद्र-तट और 2 लाख वर्ग किमी के विशेष आर्थिक क्षेत्र की रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा के सभी पहलुओं के लिए, राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक जैसे एकल बिंदु की बहुत आवश्यकता थी।
- शक्ति की वैश्विक धूरी का स्थानांतरण क्रमशः पश्चिम से पूर्व की ओर होता दिखाई दे रहा है। हिंद-प्रशांत महासागर में विशेषतः भारत के आसपास का समुद्री क्षेत्र गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। इसलिए, सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
इन स्थितियों में समुद्री सुरक्षा समन्वयक को चाहिए कि वह जल्द-से-जल्द आधुनिक समुद्री सुरक्षा प्रणाली का खाका तैयार करे। भारत के लिए कठिन होती समुद्री चुनौतियों के मद्देनजर समन्वयक की भूमिका महत्वपूर्ण है।
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ से साभार।
Related Articles
×