समान लक्ष्य वाले देशों से जुड़ता भारत
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हाल ही में ब्राजील में संपन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भी भाग लिया। इस यात्रा में उन्होंने त्रिनिदाद – टोबैगो, घाना और अर्जेंटीना की यात्राएं भी की हैं। इन देशों से किए जाने वाले द्विपक्षीय समझौतों पर कुछ बिंदु –
- प्रत्येक पड़ाव का उद्देश्य फार्मास्यूटिकल्स और टीके, डिजिटल तकनीक, खाद्य सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कुछ साझा विषयों सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना था।
- घाना को पश्चिम अफ्रीका के लिए एक ‘टीका-केंद्र’ बनाने में भारत की मदद पर विचार किया गया।
- त्रिनिनाद – टोबैगो के पोर्ट ऑफ स्पेन में प्रधानमंत्री का भाषण उल्लेखनीय रहा। सन् 1845 में ब्रिटिश शासकों ने यहाँ भारतीय श्रमिकों को बसाया था। इस यात्रा में भारत से गुणवत्तापूर्ण और किफायती जेनेरिक दवाओं तक पहुँच ने सुधार के लिए ‘भारतीय फार्माकोपिया‘ पर प्रमुख समझौता हुआ है।
- अर्जेंटीना से महत्वपूर्ण खनिजों के साथ-साथ विशाल शेल गैस और तेल भंडार पर सहयोग बढ़ाया गया है।
- विशेष बात यह है कि ये तीनों ही पड़ाव ग्लोबल साउथ के देशों में थे। आगे की ब्राजील और नामीबिया की यात्रा ग्लोबल नॉर्थ के लिए वैकल्पिक आर्थिक तंत्र बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को दिखाती है।
- राजनीतिक इतिहास के संदर्भ में भारत और इन पांच देशों ने औपनिवेशिक शासन की पीड़ा सही है। यही कारण है कि इन सभी ने सहयोग के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
- प्रधानमंत्री की यह यात्रा वर्तमान वैश्विक व्यवस्था से आगे बढ़कर एक ऐसी व्यवस्था का संकेत है, जो विकासशील और अविकसित देशों की आवश्यकताओं के प्रति अधिक समान, प्रतिनिधित्व पूर्ण और संवेदनशील हो।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित 07 जुलाई, 2025 के संपादकीय पर आधारित।