सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरूआत
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हाल ही में काशी-तमिल संगमम सांस्कृतिक आयोजन किया गया है। यह आयोजन 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का आधार तैयार करता है। साथ ही ऐसे आयोजन से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परंपरा कायम रहती है।
प्राचीन कड़ियाँ –
काशी दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है, और तमिलनाडु ऐसा राज्य है, जहाँ विश्व की सबसे प्राचीन भाषा बोली जाती है। ये दोनों ही प्राचीन भारतीय सभ्यता के आधार-स्तंभ हैं। दोनों की कला, संगीत, शिल्प-कौशल, दर्शन, आध्यात्मिकता और साहित्य की समृद्ध प्राचीन परंपराएं हैं। फिर भी स्वतंत्रता के बाद के दशकों तक उत्तर भारत के बहुत कम लोग काशी में रहने वाले संतों के बारे में जानते हैं। न ही लोग ये जानते हैं कि रामेश्वरम मंदिर के लिए गंगा का पवित्र जल ले जाने और तमिल शादियों में काशी यात्रा करने की परंपरा है।
समागम के बहाने व्यापारिक समृद्धि –
सरकार ने संगमम के दौरान एक ‘कपड़ा सम्मेलन’ आयोजित किया था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में 2030 तक 100 अरब डॉलर निर्यात करना है। इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, जो 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र के स्वप्न को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं। भारत के कपड़ा बाजार के 2047 तक 2 खरब डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है। प्रधानमंत्री ने यहाँ 5 एफ (फार्म, फाइबर, फैब्रिक, फैशन, फॉरेन) का फार्मूला दिया है। इसे किसानों और बुनकरों के जीवन में परिवर्तन और क्षेत्र में बढ़ोत्तरी का आधार बताया जा रहा है।
संगमम ने भारत में एक नए सांस्कृतिक उत्साह को प्रज्जवलित किया है। कपड़ा उद्योग, तमिलनाडु में भी इसी तरह के आयोजन की योजना बना रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि इस प्रकार के आयोजन को देश की सभी संस्कृतियों तक विस्तारित किया जाएगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के लेख पर आधारित। 11 जनवरी, 2023