राजस्थान सरकार का स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक
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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना या पीएमजेएवास के माध्यम से केंद्र सरकार देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना चला रही है। इसमें लगभग 10.8 करोड़ परिवार शामिल हैं। इसका अनुसरण करते हुए कई राज्यों ने अपनी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं चलाई हैं। इनमें राजस्थान सरकार की बीमा योजना का स्वरूप बहुत व्यापक है। इससे संबंधित कुछ बिंदु –
- राज्य में 1.34 करोड़ लोग स्वास्थ्य बीमा धारक हैं। इनमें से 50 लाख परिवारों का पूरा बीमा खर्च राज्य सरकार ने उठा रखा है।
- इसके बावजूद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक प्रस्तुत किया है। इसका कारण भारत में स्वास्थ्य पर अपनी जेब से होने वाला अत्यधिक खर्च है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2019 में भारतीयों ने स्वास्थ्य पर अपनी जेब से 55% व्यय किया था, जबकि वैश्विक औसत 18% रहा था। आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहे इस स्वास्थ्य व्यय को कम करने के लिए राजस्थान सरकार ने यह विधेयक रखा है।
- यह सुविधा केवल राजस्थान के निवासियों तक ही सीमित है। इसमें लैब टेस्ट को भी कवर किया गया है।
- इसके दायरे में आने वाले निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं को राज्य सरकार या प्रतिपूर्ति करेगी।
राजस्थान के डॉक्टर इस विधेयक से खुश नहीं है। लेकिन उनके पास इसका विरोध करने का कोई पुख्ता आधार भी नहीं है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को प्रतिनिधित्व दिया गया है। यह शिकायत निवारण निकाय के रूप में कार्य करेगा। इस कानून को प्रभावशाली सही मायने में तब माना जाएगा, जब राज्य सरकार समय पर प्रतिपूर्ति कर सकेगी। राज्य सरकार का प्रयास निसंदेह सराहनीय है, क्योंकि स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च आर्थिक रूप से एक बड़ा झटका देता है। इस कानून से इस व्यय में संतुलन की उम्मीद की जा सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 23 मार्च, 2023