
पुणे में जीबीएस का प्रकोप
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कुछ समय से पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का प्रकोप चल रहा है। इसके 100 से अधिक संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं।
कुछ बिंदु –
- जीबीएस एक जीवाणु संक्रमण है।
- यह दूषित पानी और भोजन से फैलता है।
- यह प्रकोप भारत में शहरी व्यवस्थाओं की कमी को दर्शाता है।
- यह एक दुर्लभ, ऑटो इम्यून विकार है, जिसमें व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र परिधीय (पेरीफेरल) तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। इसका अंतिम परिणाम लकवा या पक्षाघात हो सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूर्व में हुआ किसी प्रकार का जीवाणु संक्रमण भी इसका कारण बन सकता है।
- वैश्विक स्तर पर, एक अनुमान के अनुसार जीबीएस की घटना प्रति एक लाख व्यक्तियों में से एक या दो को होती है।
- मौसम परिवर्तन के दौरान इस रोगाणु की संख्या तेजी से बढ़ती है।
- इसका इलाज प्लाज्मा एक्सचेंज या इंट्राविनस इम्युनोग्लोबुनित थेरेपी से किया जाता है।
अतः स्थानीय और राज्य शासन का कर्तव्य है कि वे सभी निवासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएं, और दूषित व अस्वास्थ्यकर भोजन से बचने के प्रति सामाजिक जागरूकता फैलाएं।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 जनवरी, 2025
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