प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने हेतु
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हाल ही में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए की गई वैश्विक प्लास्टिक संधि की चौथे दौर की वार्ता संपन्न हुई है।
इससे जुड़े कुछ बिंदु –
– प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए कम से कम 175 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने यह संधि की है।
– इसका लक्ष्य 2024 के अंत तक प्लास्टिक पर यथासंभव रोक लगाने के लिए एक कानूनी दस्तावेज को अंजाम देना है।
– प्लास्टिक उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की समय सीमा को निर्धारित करना; उसके ऐसे उपयोग को बंद करना, जो कचरा उत्पन्न करता हो, और इसकी रिसायक्लिंग के लिए लक्ष्य निर्धारित करना इस संधि के मुख्य बिंदु हैं।
– इन बिंदुओं पर अमल में देरी के मुख्य कारण आर्थिक है। तेल का उत्पादन और शोधन करने वाले प्रमुख देशों ने प्लास्टिक उत्पादन को खत्म करने के लिए सख्त समय-सीमा का विरोध किया है।
– अफ्रीकी देशों के गठबंधन ने 2040 के अंत तक वाली समयसीमा का समर्थन किया है।
– बाध्यकारी लक्ष्यों के प्रति भारत का भी बहुत समर्थन नहीं है।
– इसके अलावा भारत चाहता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए एक कानूनी उपकरण होना चाहिए। प्लास्टिक के विकल्पों की उपलब्धता, पहुँच, वहनीयता के लिए तकनीक हस्तांतरण, वित्तीय सहायता और क्षमता निर्माण पर भी चर्चा करके एक्शन लिया जाना चाहिए।
– संधि के शुरूआती वर्ष 2022 में भारत ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 लागू कर दिया था, जिसमें एकल-उपयोग या सिंगल यूज प्लास्टिक की 19 श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
– ईए अर्थ एक्शन की एक रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक प्रदूषण का वैश्विक वितरण असमान है। इसमें ब्राजील, चीन, भारत और अमेरिका 60% प्लास्टिक कचरे के लिए जिम्मेदार हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण को केवल संधियों पर हस्ताक्षर करके समाप्त नहीं किया जा सकता है। संधि में विवादास्पद तत्वों पर मतदान या आम सहमति से निर्णय लिया जाना भी मुश्किल है, क्योंकि प्रत्येक देश के पास वीटो है। देशों को चाहिए कि वे प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पादों में अधिक निवेश करें, और उन्हें किफायती बनाएं।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 मई, 2024