पर्यावरण का दम घोंटता प्लास्टिक

Afeias
27 Aug 2021
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Date:27-08-21

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हाल ही में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम जारी किया है। इसके अनुसार रोजमर्रा के उपयोग की प्लास्टिक की वस्तुओं से होने वाले प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए 1 जुलाई, 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक सामान पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई को कम-से-कम 75 माइक्रोन किया जा रहा है। अभी तक यह 50 माइक्रोन हुआ करती थी।

2018 में भारत ने ‘विश्व पर्यावरण’ दिवस पर यह दावा करने के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसा प्राप्त की थी कि वह 2022 तक सभी एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को समाप्त कर देगा। इसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में उपरोक्त कदम उठाया गया है। भारत का यह कदम प्रशंसनीय कहा जा रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की शुरूआत दो वर्ष पूर्व की गई थी। नीतिगत सामंजस्य के अभाव में इसका पालन ठीक प्रकार से नहीं किया जा सका है।

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया है कि 22 राज्यों में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई थी, परंतु इसका अपशिष्ट, जलमार्गों को अवरूद्ध करता रहा एवं माइक्रोप्लास्टिक में परिवर्तित होकर महासागरों को दूषित करता रहा है।
  • 2019-20 में 34 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ है, जिसमे से केवल 60% को ही रिसाइकिल किया जा सका है।
  • विश्व के शीर्ष 100 पॉलीमर उत्पादकों में से छः भारत में स्थित हैं।
  • पर्यावरण नियमन पर भारत की नीतियां असंगत हैं। इरादे बुलंद हैं, लेकिन परिणाम कमजोर हैं। राज्य सरकारों ने नगरपालिका अनुबंधों को बदलकर ऐसी कंपनियों को नहीं देना चाहा है, जो कचरे का पृथक्करण करती हैं। इस कमी के कारण प्लास्टिक को रिसाइकिल करने में कमी हो रही है।
  • नियमन की अस्पष्टता के कारण प्रतिबंधित प्लास्टिक भी राज्यों की सीमाओं के पार जाता है।
  • हमारी खाद्य श्रृंखला में भी माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है। सरकारों को इस संकट को जिम्मेदारी से दूर करना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर दृष्टिकोण बदल रहा है, और संयुक्त राष्ट्र प्लास्टिक संधि के लिए समर्थन बढ़ रहा है। जी-7 के देश भी मानव कल्याण और पर्यावरण अखंडता के हित में एक चार्टर के माध्यम से महासागरों की सफाई के समर्थन में हैं। उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र सरकार के नए नियम का सख्ती से पालन होगा, और पर्यावरण की रक्षा में एक अंक अधिक प्राप्त किया जा सकेगा।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 अगस्त, 2021

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